पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/२८

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राजकोट राजकोटकी लड़ाईसे मुझे व्यक्तिगत दिलचस्पी है। क्योंकि यहाँ मेने मैट्रिक तथा अपनी सारी शिक्षा पायी थी और अनेक पर्योसफ मेरे पिता वहा दीवान रहे । यहाँके लोगों को जो तमाम मुसीबतें उठानी पड़ रही है, उनके बारेमें मेरी पत्नी इलना ज्यादा महसूस करती है कि भेरी ही तरह बुद्ध और राजकोट जैसी जगहक, जहाँ हरेक उसे जानता है, मोलाचीवनमें होने वाली कठिनाइयों को बहादुरीके साथ बस्ति करने में मुझसे का समर्थ होते हुए भी उसे ऐसा लगता है कि उसे रामकोट जाना ही चाहिये । और संभवतः पाठकों के हाथमें यह लेख पहुँक्नेतकबह वहाँ चलो भी जायगी । लेकिन मैं तो इस लड़ाईपर तटस्थ रूपसे ही विचार करना चाहता हूँ । इस सम्बन्धो दिया हुआ सरदारका वक्तव्य इस दृष्टिसे एक कातूनी वस्तावेज है कि उसमें एक भी शब फालतू महीं है और उसमें कोई ऐसीधास है जिसका असंदिग्ध सयूनसे समर्थन होता हो। और उस सबूतमें, जिसमें से अधिकांश उन लिखित दस्तावेजों पर मुनहसिर है, वसन्धमें परिशिष्टके रूपमें जुड़े हुए हैं। जो समतोता हुआ उसमें एक विटिश अकसर भी साझीवार था। उसे इस बातपर गर्व था कि वह मिटिश ससाका प्रतिनिधि है। उसने शासकपर शासन करनेकी उम्मीद की भी। इसलिए वह इतना मूर्ख नहीं था कि वह सरपारके फन्वेमें आ जाता। अतएव समझौतेको फापर राजाने नहीं तोड़ा। मिटिश रेजिसेण्ठको कॉग्रेस और सरवारसै इसलिये नफरत थी कि वे डाकुर साहयको विपालिगा बनने और शायव गद्दी छिमसे बचाना चाह है। लेकिन कांग्रेसके प्रभावको वह नहीं मिटा सका। इसलिए काकुर साहब अपनी प्रजाको विये हुए अपने पायको पूरा करें, उससे पहले ही उसमें उनसे उसे तोड़वा दिया। सरवारको राजकीटसे जो समातार मिल रहे हैं समपर विश्वास किया जाय, तो रेजिडेण्ट प्रिविश सिंहके लाल-लाल जबड़े दिखाकर प्रजासे मानों यह कह रहा है कि "तुम्हारा शासक तो हमारे हापका खिलोना है। मैंने उसे गद्दीपर बैठाया है और उसार भी सकता हूँ। वह भलीभांति जानता था कि उसने मेरी इच्छाके विरुद्ध काम किया है। इसलि', उसके अपनी प्रमाके साथ समझौता करनेके कामको मैने चौपट कर दिया है। तुम जो कांग्रेस और सरबारको साथ सम्बन्ध रखते हो, उसके लिए मैं तुम्हें ऐसा सबक दंगा जिसे तुम एक पीढ़ी तक भी नही मूलीगे।" शासकको एक तरहले कैयो बनाकर उसने राजकोटमे दमनचक शुरू कर पिया है। सरकारको मिले एक ताजा तार में कहा गया है कि- . "बेचारे माई जसानी और पूरारे स्वयंसेवक गिरप्तार हो गये। २६ स्वयंसेवक रातमे ।