पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आहिस राचनात्मय' रण जोर अहिसाके बीच क्या सबंध है ? इन दोनोका क्यों इतना घसिष्ठ सबंध हे ?

इस प्रइनपर सु ग६ भीज ले जाती हूँ। मेरा र्गाल हैफि यह काफी रपष्ट हो गया है कि बगेर ऑजसाके एन्दू-मुसलिप ऐक्ध,सादक-द्रव्य-निषेध और अस्पुश्यतता-निवारण असश्शव हे । रहा तिर्फ पर्बा । जाहिता हा प्रतीक चर्चा केसे बत गधा है ? यह तो में पहले ही कह चुका हूं कि असल चीज तो बह भाषना है, जिससे कि इसे आप देखते हे, जिन गुणोकी आप उससे

रयोपया करते है । बंखगे कोई ऐसी आनुषधिक बरतु नहीं है । गायत्री भत्रको ही लीजिए । जो प्रथाव उसका मुहपर ५१ता है पही प्रभाव अधि-युओपर नही पड़ सकता । कलूमसाका सुसलशामोपर जो जप्र पड़ता हे यह मुझपर नहीं प& सकता। यही बात चेक बारेसे है । से स्पच६ ऐसा को $गुण नही हैयो भहिसाकी शिक्षा देसके ओर स्थराज हासिल करा सके ।

पर आप उसकी उन प्रातष्ठित भावनाओके साथ साधना करंगे ओर वह तदूष हो जायगा । उसका प्रत्यक्ष गूल दा अचारायणकी सेवा है, पर उप्तका यह अर्थ करना कि. उसे अधहिसाफा प्रतीक या एच्रउजके ७िए एफ जापश्यक शर्त होनी चाहिए, जरूरी नहीं ।मगर हमने १९२०से जर्वेका संबध जाएस। ओर स्वतंत्रताके साथ जोड़ दिया है ।

फिर आत्मशुद्धिका भी कार्यक्रम हे, जितके साथ भी चर्सेका घनिष्ठ (वंण है ।« धरके करे ध्ृतका सोटा-झोट। खट्टर जीवनकी सादगी और पपिन्नताकों जाहिर करता है ।

बगैर चर्सके, बगेर हिंदू-मुसलिम-एफताके और बगैर अस्पुइ्यता-गियारणके सविनय अवक्षाका आध्वीलन कोई चल ही नही राकत।। संविनयथ अवज्ञाके मूलगे तो यह फल्पना

निहिल हैकि एस अपने अनाये नियसोंका स्पेष्छासे पालन करें । बगैर इसके किया हुआ सिनय-भंग ती गिवियथ मजाफ होगा। यह चीज है, भी सुझे राजकोठको प्रयोगशालामे अनुभव हुईंओर इसपर मेरा घूना विधवास हो गया। अगर एक भी भनुष्य तमाम शततोंकों पूरा कर छे, ते वहू भी स्व॒राज्य प्राप्त कर सकता है। में ऐसे आदश सरयाग्रहकी स्थितिसे अब भी हुए हूँ । राउलेट ऐप्टके विशेधसे जब सत्याप्रह शुरू किया गया, तब हमारे पास फैयल भुद्दीभर ही आदमी थे, लेकिन उन सुट्ठीभरते हमने जाता बड़ा तंभ् बना लिया ।

चूंकि से अपूर्ण सत्याग्रही हूँ, इशलिए तो आपका सहयोग साँग रहा हूँ। ऐसा करते हुए में खुद आगे बढ़ता हूँ, क्योंकि मेरी अन्तज्ञोष कभी बत्द नहीं होतो । कोई इतना जराजीणें नहीं हो गया है कि इसमे वह जागे ने बढ़े सके, मे तो निश्चय ही नहीं हुआ हूँ। सत्याभ्हुका जन्म द्ांसवालमें हुआ था। कुछ ही हजार लोगोरे वहा उसका प्रयोग किया था । यहाँ

लाखोंने प्रथोग फिया।

६ एप्रिक १९१९को' भद्राससे किये गये आहूवानफा जो करोड़ों

लोगोंने जवाब प्रिया ओर एक साथ उछ खड़े हुए उसकी कल्पना भी किसीने की थी ? किस्सु

आखिरी जीतके लिए रुखतातरफ कार्यक्रम राजिमी है । सचमुच, आज तो यह भेरी घारणा हैकि अगर हुम चर्सेका कार्यक्रम महिसाफा प्रतीक स्वक्षप समझकर पुरा न॑करेंगे-नफिर उसमें

थराहै जिएसा सभग लगे-से हम राष्युफे अति जेवफा साबित होंगे । हरिक्षन ते हें जून; १९३९

हे

२७३