पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/६६

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हर हिटलरसे अपील गत चोपीस अगस्तको लब्दनसे एक बहिनने मुझे य& तार विधा-

(कृपा फरफे कुछ कीजिये । दुनिया आपकी रहनुमाईकी रह देख रही हू ।' लब्दसके हरारी बहिनका तार मुझे यह सिला-

था आपसे शनुरोध करती हूंकि पणुबलमे ५ होकर वितेकमे आपकी जा अतल श्रद्धा है उपे शासकों ओर प्रजाके सामने अतिलग्ब प्रगट कानेका विचार करें। से एस आस विण-संकटके बारेसे कुछ कहमेसे हिचफिया रहा धा,जिलक। कुछ राष्ट्रोफे ही नहीं. प्रत्कि सारी मायबजातिके हितपैर असर पड़ेधा। मेश ऐसा उ्वाल हैकि मेरे दब्योंका सनलोगों पर कोई प्रभाग पही पड़ेगा, जिवपर लड़ाईका छिड़ता या झान्तिका काथम रहना

निर्भर करत है। में जानता हु कि पश्चिग्क बहुतरे लोग समजते हैकि गरे शब्धेकी वह्ों प्रतिष्ठा है। मे याहता हैकि मे भी ऐसा तमझता । चूक मेंऐसानही समम्ता, इसरटिये मे 'युपलाप ईइवरसे प्रर्थना करता रहा कि वह हसे पूद्धके संकप्से घच।ये। लेकिन यह घोषणा करनेसें मुझे जरा भी हिंचकिवाहद नहीं गाजूम होती कि मेरा विवेषामें विश्यारा है। अन्यायके वसनक्रे लिए या

एाड्ोंके गिपदारेके लिए जहिसाका वूसतरा सास ही विजेक है। विवेकका ४र्थे मध्यस्थका किया हुआ किसी झगड्रेका बाध्यकारी निर्णय अथवा भुद्ध नही है। से अपने विश्वासपरः सबसे अधिक

जोर यही कहुकर व राकता हूँ(क यवि मेर वेशको हिसाके हारा स्पतंतता सिलना संभव हो तो भी मे स्वयं उसे हिसाके द्वारा प्राप्त नफरलँगा।._ तलवार से जो मिलता हैबहु तलवारते हर लिया जाता है“-इस बुद्धिागीके कथनसे मेरा विश्वास कभी सष्ठ नही हो सकता। सेरी यह कितनी प्रबल हज्छा हूँकि हुर हिटलर संयुक्तराष्ट्रके शष्ट्रेपतिकी अपीलफों सुनें और अपने दापेफी जाँच मध्यस्थोंकों करने वेजिसके चुननेमें उसका उत्तमा ही हाप होगा ज़ितवा कि उस लोगोंदग थो. उनके दापेकों ठीक नहीं समझते ।

हरिअत सेवक २ सितरबर,

१९३६९

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