पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/६८

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आएसा गान्धीजी अपने देणव।सिवोको गए सजाह देनेकों तैयार हेकि शत्रुकीतलवा रके सामने वे सीने

सोल दे ? कुछ समय पहले ,वह जो कुछ कहते उसके छिये मे अपनेकोीं वचन-बद्ध कर छेता ,छेकिन जब ओर अधिक विश्वास मुझे नहीं रहा है ।” से उन्हें चिश्यास दिछा सफता हूँफि, अपने हालके लेखोंके वापजूद वह मुझरें इधता विश्वास रख सकते ६ कि अब भी से वही सलाह बूंगा जैसी कि बह आज्ञा करते हैकि सेने पहले दी होती या जैसी भेगे येक्ों याएबिशीनियनोंकों दी है। मेरी अहिया सख्त चीजकी जनी हुई

है। वेशामिकोंकी सबरो प्रण्यूत जिया धातुका पता होगा उससे भी यह ज्थावा भजपूत है ।इतनेपर भी मुझे सेदपूर्वदा इश बातका झान हूँकि इसे अभी इसकी असली ताकत प्राप्त नहीं हुई है। अगर यह भाष्त हो भयी होती, तो संसारमें (हिसाकी जिन अनेक घटनाओंकों मेंअसहाय रूपमें रोज

देखा करता हूँ. उनसे मिपटभेका रास्ता भगवान सुझे सुझा देता।

यह में धृष्टतापूर्वक नहीं

बलिक पूर्णअप्साकी शपितका कुछ ज्ञान होनेके कारण कह रहा हूँ। अपनी सीमितता या कमजओरीको, छिपानेके छिये भें अधिसाकी क्व्तिको हतका नहीं जाँकने दूंगा। अब पूर्वोष्तत प्रश्नोंके

जवाब्ंमे कुछ पंक्तियाँ छिजता हुँ-* (१) व्यपितगत रुपसे मुझपर तो युत्ञकी जो वहक्षत सवार हुई हैयेसी पहले कभी नहीं हुई थी। आज मे घितना बिलगीर हूँउत्तना पहले कभी नहीं हुना। छेगिन इससे भी बड़े

खोफवा कारण आप में बसी स्वेष्छापूर्ण भर्ती करनेपाला सा्ेन्ट नहीं बनूंगा जैसा पिछले सहायुद्ध के वक्‍त में बत गया था । इतने पर भी यह अजीवसा मालूम पड़ेगा फि भेरी सहानभूति सिचर-राष्ट्रोंके हीसाथ है । जो भी हो, यह युद्ध पश्चिमों विकास्तित प्रजातंत्र और हुए हिटलर जिराके प्रतीक हैउस निरंकुशताक बीच होनेबाले युद्धछएा रुप धारण

कर रहा है। रस इसमेंजो'हिस्सा के रहा है, वह यद्यपि दुःखद है, फिर भी हुमेंउम्मीद फरतनी चाहिये फि इस जस्वाभाविक भेलसे, चाहे अनजाने ही बयों व हो, एक ऐसा सुखद घोल पद! होगा जो क्या शक्ल इख्तियार करेगा यह पहलेसे कोई घहीं कह सकता। अगर सित्र राष्ट्रों-

का उत्साह भंग न हो, जिसका जरा भी कोई भासार नहीं है,तो एस युद्धसे सब धरुद्धोंका अन्त हो ऱकता है--ऐसे भीषण रुपभें तो जहरही जेसे कि हम आज देख रहें हैं। सुझे उम्मीद हैकि भारत, मशपि अपने आन्तरिक भेव-भावषोंसे छिन्च-भित्त हो रहा है, तथापि इस इच्छित उद्देशयकी' पूर्ति तथा अबतकंकी अपेक्षा शुद्ध प्रजातंत्रके प्रसारमसें प्रभाषफारक भाग छेगा। निसम्देहू, यहु इस सालपर भिर्भर हैकि संसाएके रंगसंत्रपर जो सच्चा दुखद नाहक हो रहा है उसमें चेकिंग कभेणी अत्सतोगत्या केसा भाग लेगी। इस भाठकर्में हुम अधिमेता और वर्शक

दीनों हीहूँ मेरा भाग तो लिहिन्रत हैँ ।चाहे मेंबकिंग कमेटीके विनक्ष सार्ग-बर्शेकका कास करूं, था, अगर इसी बातको बिना किसी आपत्तिके में केह सेक तो कहूँगा कि, सरकारकै--सेरा भाग प्रदशेतव उतरमेसे एककी था बोवोंकों अहिसाके सार्गपर के जाना होगा, घाहे वह प्रगति सदा अगोचर ही फ्मों त रहे। यह स्पष्ड है कि में किसी रास्सेपर

किसीको जबरवस्ती नहीं चला सकता, से तो सिर्श उसी शक्तिका उपयोगकर सकता हूँ,जो इस अवसरके लिये इृतबर मेरे हृदय घ॑ मस्तिष्कसें देते की कृषा करें ।

(२) मेसमझता हूँकि इस प्रदवका जवाब पहुले प्रदमके जवाबमें आ गया है। २८९