पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/६९

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_मांधीजी

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(३) अहिसाकी ही भांति हिएाओे भी दर्ज होते है। १/फेग कमेटी इच्छापुरन जतादा तीतिजे पहीं हु हूँ ।सच तो यह है कि यह ईसानदारीके साथ जाहसाके वात्ततिक फणीवाषाकों स्वीकार नहीं कर सकती । उसे ऊगा कि बहुल॑रयफ कॉँग्रेसग्ाने स्पण्ड रूपसे कशी भी चहीं समझा कि बाहरसे आफाण होनेपर ये आध्ितारू रापनोंसे देशकी रक्षर दारेगे। सज्चे जय पे पष्होंने घिफे यही समझ है हि ब्रिटिश सरफाश्के लिछाफ कुछ ग्िलावार जहिताके धरये वे सफल सदाव लड़ सकते है। अन्य क्षेत्रोंसें काम्रेतजनोकों अधिक्षाके उपयोगको ऐसी शिक्षा मिझो भी नहीं हे । शदहरणके तोर्पर पस्यदययिक्ष बंगोंया गुए्ठपनका जाहिसाधाफ झपसे सप्ज सुकाबिफा परनका भिश्चित परी+। उन्होंने अभी बाहों जोण पाया है ।महू दछीऊ अश्थिय है, दर्योकि वारतणिक अनुभ५

पर इसका साधार है ।अमर इसबिये गपने राबोधतध शाधिषोंदका थे साथ छोए हूं कि. जहिसाफे विएतृत रदमोगरों थेपेश शनुसरण गहीं कर सकते, तो में अहिसाका उद्देंदय गहीं शाधूगा।

इसलिये इत विल्रातरे शाथ मे उसके साथ ए_ए. रहा कि महिसाध्गका शाथनसे उसका हुटथा मिल्कुल गंकीएं श्षेजतवफ हो सिमित रहेगा और पह अस्थायी ही होना। (४) मेरे पास कोई यारा बोजात तैयार नहीं 8, +गोंकि भेरे छिपे भीया; भया ही क्षेत्र है । “ फके सिर्ष इतमा ही है कि साफ» गे चुनाव हीं प्रजा है, चाहे मे पा/पाग करेटीमें बंता कहे या पाएसरायके धाज, वहु साथ रादा शुद्ध जतिशात्मपा ही होते चाहिये। इशजिपि जो

में कर रहा हूँ,यद घुद ही छोतत योएभाका अंदर है ।और बातें भुणे पिल-ब-दिय शुक्षतती जायंगी । जरे कि मेरी सब योजनाओंके बारेगें हमेशा हुआ है ।अधह॒भीगका प्ररि:'् प्रस्ताव दी घेरे विभागों फाँप्रेस महासशितिकी उस बेठकर्में जी १९२० में कलकरोमें तुई भी और जिसमें वह प्रस्ताव पातत

हुआ, कोई २४ घंटे रो भीकश सप्यर्मे जाया, ओर जमली रूपमें थही हाल दांडोन्फृपका रहा। पहुले सविनय भंगकी यींव भी, जिसे उस वदत सिष्किय प्रतिरीधका नाथ दिया गया, प्रसंग-

बश, भारतीयोंहीउस दराभामे पड़ी, जो इस दिनोंफि एदियाई-विरोधी कानूतका सुकाधिला परणे उपाय खोजमेफे उद्देश्यसे १९० ६में ग्ोहस्पबर्गंगें हुई थी । सभा में जब मे गया शो उस प्रशावकी पहुलेसे गूत्रे कोई कल्पता नहीं थी। बहू तो उस सभालें ही सूक्षा। इस सुजग बाविध्षका अभी भी विकास हो रहा है,लेकिन फर्ज कीजिये कि ईश्परने भुछे पुरी शक्ति धवन की है. (जैसे

कि पट कभी नहीं करता) तो में कौरन अंग्रेणसे फहँँगा कि ये शस्त्र रख हें,अपने राघ जथीण वेश्ोको आजाद करदें छोटे इंगछण्डवासी कहानेमें है! गर्षानभव करें भौर संसारफे सब मिरकुशलावादियोंदे

बुरेसे बुरा फरनेपर भी उनके आगे सिर ये छुकफायें। तन अंग्रेज बिता प्रतिरीधषके मर्कर

इतिहासमें अहिसात्मक घीरोंफे रूपसें अमर हो जावंगे।

इसके अलावा, भारतीयोंको भी पे

इस देवी शहादतर्मों सहयोग फरचेफे लिये सिर्मेत्रित करूँगा। यह कभी भी न दृथनेबाज़ी साझेदारी होगी जो तथस्कमित दात्रुओंमं नहीं बल्कि उनके अपने श्राशरोंके खूतसे लिखे अक्षरोंमें

अंकित ही जाथगी । केकिग सेरे पास ऐसी सासान्य सस्ता गहीं है। अहिसा तो धीमी प्रगतिका यौदा है, बह अवृष्य परू्तु निश्चिचत झूपसें बढ़ता हैऔर इस खतरेकों लेकर कि भेरे ब्रारेगें भी

गलत॑-फहमी होगी, सुक्कउस और! भी क्षीण आवाजकरे अनुसार ही काम करना साहिये। हुरिजन सेवक

३६० सितम्बर, १५३५९ २९०

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