पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/७५

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किन कारणोंसे ? फिसी काममें अरफज होनेका सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने शिरोधीको शूघ गालियां दी जायें, और उसकी कम्रजोरीसे फायवा उठाया! जाये। सड़ाईफे दुसरे प्रकारोक्े यारेमें सत्य चाहे जो हो, पर सस्याश्रहमें ते! यह साना गया हैकि अशफद्लाफे कारणोंको खुद

अपने ही अन्दर दूंढ़ना चाहिए । पिटिश सरफारने कांग्रेसकी इस आध्ापर कि, सरकार कोई अपेक्षित घोषणा एरेगी, जो पानी फेर दिया हैउसका एपमात्र कारण के दामणोरियां ही है, को

कांग्रेसके पंणटन और कांग्रेसलबोंगे भा गयीं हैं। सबसे बड़ी फाजोरी यह हेकि अहिंसा और उराके अनेक ५/लितार्थोक्ती हम पुरी कब

नहों की । इसी एक भहाथ बोषसे हमारी दूसरी सब कमजोरियों पैदा हुई है। हमने कामिक अहिसाका तो खासा अच्छा पालन किया है, पर अपने विजोंगें हमने छिसाफो आशय ये रफ्या है। इसलिए सरकारके भुकाबलेगं हमारी अधहिसा, हवारी सक्रिय हिसाकी अथोग्यताफा परिणाग है । यही वजह हैकि हम अपने आपसके बर्ताव हिसाफी त्तरक बहुक गये है ।कमेटियोंम हम एक-इुसरेफे साथ लड़ते-क्षणझ्ते और कभी-कभो तो घूंसेषाजी तकपर उत्तर आते है ।बफिंग

कमेटीफे आदेशोंको असलमें लानेसे हमने इस्कार कर दिया है । अतिरपर्थी इस हगने अलग दता लिये है, जो सत्ताकों छीमनना चाहते हे। हिंदू और मुप्ततलमान जरा-जरासे एतराजपर लड़ बैठते

है। सास्प्रयाधिक सतभेव जो बुर नहीं हो सके है,इसके लिए कोंग्रेसजन आंशिक झपसे जरूर जिस्सेमार हूँ । यह सथ ठीक हैकि हम अपनी फूटके लिए जिठिदा सरकारपो दोषी ठहराते है। पर इस तरह हण अपनी वेवनाको बढ़ाते ही हे । यह हमे मालूम था कि फूट डालकर राज करनेकी नीति १९२०में सी थी, और तब भी हमने हिन्दू-सुसलिम ऐव्को अपने रचनए्मक कार्यफ्रममे रपख। आ।

हमने ऐसा इसलिए किया था कि हमें यह आशा थी कि हमारे राषस्तेम सरकार द्वारा

रोड़ अटकाये जानेके बावजूब हम कौमी एकता हासिल कर छोंगे। अधिक क्या कहें, उरा श्रक्षत प्रतीत भी ऐसा होता था कि उस एकताकों हमने हासिल कर छिया है । हमारी कमजोरियोंके ये उदाहुरण भयंकर है। कांग्रेसको अपनी पूरी जज्नतिपर पहुँचमेसें इन्होंने बाधा डाली है, और हमारी महिसाकी प्रतिशाओंकों प्रजाफ घना विदश्वा है। हमारी असफलताके कारणोंका यदि मेरा चिएलेषण सही है, तो धह तसत्लीबेह भात है. कि इसका इलाज़ किसी बाहरी परिस्थितिका नहीं, किस्तु खुद हमारे ऊपर निर्भर करता हूँ । हमें अपना खुदका संघथन इतना सुष्यवर्थित और इतना शुद्ध और शक्तिशाली बना कैसा घराहिएं

कि जो हमारे उक््यकी ओर बढ़नेशें बाधा डालते हूँवे हमे सम्सावसे बेखने छगें; यह सम्मान हुस पनमें झर पैदा करके नहीं, बल्कि उन्हेंअपनी असिहात्मफ वाणी और क्ियाका असंपिण प्रभाण

बेकर ही प्राप्त कर सकते हे । चकिंग कसेटीका प्रस्ताव जहाँ इस बातका संबूत हैकि कांग्रेस हिन्दुस्तानकी स्वतंत्रता भाष्त

करनके किए सत्चाईके साथ प्रयत्त कररहीहै,वहाँ बहू कांग्रेसजमोंके अनुशासन और उनकी महिसा २६६ 4