पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/९४

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अहिंसा स्वतंत्रता और शुद्ध न्याय निरपेक्ष रूपसे प्राप्त रहेगा। शायद श्री जयप्रकाशको यह विश्वास नहीं है कि राजा लोग स्वेच्छासे अपनी निरंकुशताका त्याग कर देंगे। मुझे यह विश्वास है। एक तो इसलिए कि वे भी हमारी ही तरह भले आदमी हैं, और दूसरे इसलिए कि शुख अहिंसा को अमोघ शक्तिमें मेरा सम्पूर्ण विश्वास है। अतःअंतमे यह कहना चाहता हूँ कि क्या राजा- महाराजा और क्या बूसरे-सभी सच्चे और अनुकूल बन जायेगे, अब हम खुद अपने प्रति अपनी श्रद्धाके प्रति-यदि हममें श्रद्धा है-और राष्ट्र प्रति सच्चे बनेंगे। इस समय तो हम अध- कचरी हालतमें है। ऐसो अधकचरीश्रद्धासे स्वतंत्रताका मार्ग कभी नहीं मिल सकता । अहिंसाका आरम्भ और अंत आत्म-निरीक्षणमें होता है---"जिन खोजा तिम पाइयां गहरे पानी पैठ।' हरिजन सेवक २० अप्रैल, १९४० स्वतंत्र भारत और सत्याग्रह अमेरिकासे लिखते हुए एक मित्र यह दो प्रश्न उपस्थित करते हैं:- १-"यदि यह मान लिया जाय कि सत्याग्रहमें भारतकी स्वतंत्रता प्राप्त कर लेनेका सामर्थ्य है तब स्वतन्त्र भारत में उसके राज्यको नीतिके रूपमें स्वीकार कर लिये जानेको क्या संभाव- नाएँ है? दूसरे शब्दोंमें,क्या एक बलिष्ठ और स्वतंत्र भारत आत्मरक्षाके असली रूपमें सत्याग्रह पर निर्भर रहेगा, अथवा युगोंसे चली आनेवाली उसी यौद्धिक प्रथाका आश्रय लेगा, चाहे उसका • रूप कितनाही आत्म-रक्षात्मक क्यों न हो? इसीको विशुद्ध सैद्धान्तिक समस्याके रूपमें रखा जाय, तो क्या सत्याग्रह केवल ऐसे प्रबल युद्धके समय ही स्वीकार किया जायगा जब कि बलियामकी भावना पूरे जोरपर काम कर रही हो, या यह ऐसी सर्वोपरि ससाके हथियारके रूपमें भी स्वी- कार किया जा सकेगा, जिसको न तो बलिदानके सिवान्तपर काम करनेकी आवश्यकता है, और न जिसके पास इसकी गुंजाइश ही है ?" २-"फर्ज कीजिए कि स्वतंत्र भारत सत्याग्रहको राज्यको नीतिके रूपमें स्वीकार करता है, तब वह किसी बलिष्ठ राज्य के संभावित आक्रमणसे अपनी रक्षा किस प्रकार करेगा इसीको सैद्धान्तिक समस्याके रूपमें रखा जाय तो सीमाप्रदेश पर हमला होनेकी दशा आक्रमणकारी सेनाके मुकाबले सत्याग्रहके रूपमें क्या कारं वाईकी जायगी और एक ऐसे सम्मिलित कार्यक्षेत्रके स्थापित होनसे पहले जैसा आज राष्ट्रबादी हिन्दुस्तानियों और अंग्रेजी सरकारके बीच है,आक्र. मणकारीका सुकाबला करजेका भी क्या तरीका हो सकेगा अथवा सत्याग्रहियोंको अपनी कार- पाई तबतक बंद कर देनी होगी, अबतक कि विरोधी मुल्क पर कब्जा न जमाले।" निश्चय ही प्रश्न सैद्धान्तिक है। साथ ही, मैने अत्यायहके सम्पूर्ण शास्वापर अधिकार प्रास