पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/१००

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उसके लड़के को श्रेष्ठ मान कर सब प्रकार के हक उसको दिए जाया करें। यद्यपि इस वंश के अतिरिक्त दूसरे वंश की लड़की से लड़का हो और वह शायद वय में बड़ा भी हो तथापि उदयपुर के नाती का सम्मान और हक्क आदि श्रेष्ठ ही रहेगा। इसी ठहराव के अनुसार चंद्रावत वंश की लडकी जयपुर, जोधपुर आदि राजाओं को ब्याही जाया करती थी।

जयपुर के राजा सवाई जयसिंह का स्वर्गवास ईसवी सन १८४३ में हुआ था। उस समय उनके दो पुत्र ईश्वरीसिंह और माधवसिंह थे। यद्यपि ईश्वरीसिंह पहला रानी से जन्मे थे और माधवसिंह उदयपुर की लड़की से जन्मे थे और ईश्वरीसिंह उमर में भी माधवासिंह से छोटे ही थे, परतु छोटेपन से माधवसिंह अपने मामा संग्रामसिंह के यहाँ ही रहता था और वहाँ पर उसका बड़े लाड और चाव से पालन होता था। यहाँ तक कि उस के मामा ने एक गाँव उसके हाथ खर्च को रामपुरा जागीर में दे दिया था और इसी कारण पिता की मृत्यु के समय वह जयपुर में उपस्थित नहीं था। दूसरे उसका पक्ष उतना बलशाली नहीं था जितना कि ईश्वरीसिंह का था। इन्ही कारणों से ठहराव की शर्तों को एक ओर रख सम्पूर्ण जयपुर राज्य का अधिकारी ईश्वरीसिंह को बना दिया गया। उस समय उदयपुर का राजा जगतसिंह अर्थात् माधवसिंह के ममेरे भाई के अधिकार में था। जब जगतासंह ने देखा कि मेरा भाई माधवसिंह, जो ठहराव के अनुसार संपूर्ण राज्य का अधिकारी होता है, अधिकारी नहीं बनाया गया है,