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पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/१२५

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सुलपेश्वर:--इस स्थान पर बाई का बनवाया हुआ महादेव का एक विशाल मंदिर है और प्रवासियों के हेतु एक अन्नसत्र भी बाई ने स्थापित किया है । इस स्थान पर एक विशेषता यह है कि प्रत्येक प्रवासी को एक कंबल, एफ लोटा आज दिन भी मिलता चला आता है ।

मंडलेश्वर:--इस स्थान पर बाइ का बनवाया हुआ एक घाट और एक शिवालय विद्यमान है ।

नीलकंठ महादेव गोमुखी:--यहाँ पर अहिल्याबाई ने एक शिवालय जो कि नीलकंठ महादेव के नाम से प्रसिद्ध है और एक गोमुखी बनवायें हैं ।

ओंकारेश्वर मान्धाता:--यहाँ पर बाई ने एक थावडी बनवाई है और ओंकारेश्वर महादेव के मंदिर में नित्य प्रति सागोपांग पूजन के अतिरित्त लिगार्चन की भी व्यवस्था की थी जो आज दिन तक उसी प्रकार से चल रही है । और इस स्थान पर श्रावण मास में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की, ब्राह्मणों के द्वारा अनुष्ठान कराने की, और उनके भोजन और दक्षिणा की भी व्यवस्था उत्तम रीति से की थी जो आज तक चल रही है ।

हडिया:--यह स्थान मध्यप्रदेश में हर्दा से लगभग १२ मील के अंतर पर नर्मदाजी के तट पर है । यहाँ पर प्रति वर्ष शिवरात्रि पर और पर्व पर्वणी पर असंख्य लोग दूर दूर से आते हैं । नर्मदा जी के उस पार सिद्धनाथ का एक विशाल मंदिर है जिसको मालकम साइब ने सब मंदिरों से श्रेष्ठ और उतम बतलाया है । यहीं पर नित्य प्रति लिड़्ग का सांगोपांग