पास पकड़ कर भेज दो । यह समाचार मल्हारी को विदित होते ही वह निजाम के राज्य में भाग गया और वहाँ पर भी उसने अपनी योग्यता का पूर्ण परिचय लोगों को दिया जो कि इसके लिये एक साधारण बात हो गई थी ।
यहाँ पर भी लोगों ने हाय हाय मचा कर निजाम तक सब हाल पहुँँचाया । सरकार निजाम ने जब होलकर के वकील से इस विषय में पूछा तब वकील न सब हाल कह कर निवेदन किया कि इसको अपना बच्चा समझ उचित दंड दें । और बाई तुकोजी का पूर्ण संबंध कह सुनाया जिसको सुनकर निजाम ने लोगों का नुकसान अपने निज कोष से धन दे कर उनको संतुष्ट किया । और उसको बुलवा कर बहुत धमकाया, समझाया और कुछ दिन अपने पास रख बाई के पास भेज कर लिख भेजा कि, अब आप इसके अपराध को क्षमा करें, यह कभी किसी को नहींसतावेगा । यथार्थ में फिर ऐसा ही हुआ । इससे अनुमान किया जा सकता है कि और लोगों के मन में भी बाई के प्रति कितना आदर भाव था ।
अहिल्याबाई के ऊपर एक की अपेक्षा एक अत्यंत कठिन, अतःकरण को द्रवीभूत करनेवाली आपत्ति और दुःख उपस्थित हुआ था । परंतु ऐसे ऐसे महा कठिन और दारुण दुःखों में फँसे रहते हुए भी बाई ने अपना मनोधैर्य किंचित् मात्र डिगने नहीं दिया था । यह उनमें एक अद्भुत और विलक्षण गुण और शांति थी।
प्रिय पाठको! विचार करो कि उस अबला स्त्री के श्वसुर,