थे उसी समय से मल्हारराव होलकर उनका बहुत मान करते थे । तुकोजीराव होलकर ने इस पद के प्राप्त करने के पूर्व ही अपना प्रभाव राज्य पर भली भांति जमा रखा था जिस को उन्होंने बहुत सादगी और साधारण रीति से अंत तक निभाया ।
तुकोजीराव के इस पद के प्राप्त करने के दिन से होलकर राज्य में दो हुकूमतें (अधिकार) स्थापित हो गई थीं । परंतु उनके उत्तम बरताव के कारण ही उनकी हुकूमत तीस वर्ष से अधिक स्थापित रही जिसको कोई भी विचलित नहीं कर सका था । इसका मुख्य कारण केवल अहिल्याबाई और तुकोजीराव का उत्तम बरताव ही था । तुकोजीराव होलकर बहुत ही आज्ञाकारी और सच्चे सेवक थे और वे प्रत्येक कार्य को बाई को प्रसन्न और संतुष्ट रखने की दृष्टि से किया करते थे । इस पद के प्राप्त होने के कारण वे बाई के बहुत ही अनुगृहीत थे । वे सर्वदा बाई को मातेश्वरी ही कह कर संबोधन किया करते थे, यद्यपि बाई उनसे वय में छोटी थीं । और यही एक कारण था कि तुकोजीराव मल्हराराव होलकर के पुत्र कहलाते थे । जो कुछ कहा गया है उससे यही बोध होता है कि बाई अपने राजकार्यों में अग्रसर रहती थीं और तुकोजी को इस पद पर नियुक्त करने से बाई को अत्यंत आनंद हुआ था । बाई का प्रेम और विश्वास तुकोजीराव पर उनके मरण पर्यंत एक सा बना रहा और उन्होंने उनसे अपनी फौज का और सरलतापूर्वक कर वसूल करने का कार्य संपादन कराया था । इस कार्य को करने की बाई ने