पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।


पर विचार होता। इन बैठकों का प्राण मादाम रोलॉ ही थी। लोगों को नई-नई बातें सुझाना ही उसका काम था। उसकी अलौकिक बुद्धि और प्रखर-प्रतिभा को देखकर सब चकित होते थे।

परन्तु कुछ मनुष्य उसके विरुद्ध भी कार्य कर रहे थे। उनमें एक रोब्सपीयर भी था। सिद्धान्त के नाम पर वह गिरोण्डिस्ट दल से अलग हो गया था। जब सम्राट लुई १६वें के अपराध पर परिषद् में विचार हो रहा था, उस समय रोब्सपीयर के कुछ साथियों ने मादाम रोलॉ पर यह दोष लगाया था कि राजा को बचाने वालों में मादाम रोलॉ भी शामिल है। उस समय मादाम रोलॉ ने स्वयं सफाई पेश करके अपनी निर्दोषता सिद्ध की थी, परन्तु गिरोण्डिस्ट दल की नीति के असफल होने से मादाम रोलॉ का प्रभाव कम होता गया। जून, सन् १७६३ में गिरोण्डिस्ट के हाथ से शासन-सूत्र छीन लिया गया।

गिरोण्डिस्ट दल के छिन्न-भिन्न होने के पश्चात् रोलॉ राजनीति क्षेत्र से अलग हो गया। विरोधियों ने अपने भाषणों द्वारा जनता की दृष्टि में दोनों पति-पत्नियों को गिरा दिया था। इस अपयश के कारण पेरिस में रहना मादाम रोलॉ के लिये कठिन हो गया। पति और पुत्री को लेकर उसने घर लौट जाने का विचार किया, परन्तु घटना-चक्र में फँस जाने के कारण वह पेरिस नगर को न छोड़ सकी।

इस बीच में क्रांतिकारी न्यायालय ने रोलॉ को दोषी ठहराकर उस पर अभियोग चलाना निश्चित किया। गिरफ्तारी का वारण्ट लेकर कुछ कर्मचारी उसके मकान पर पहुंचे। उसने आत्म-समर्पण करने से इंकार कर दिया। भावी अनर्थ की आशंका से मादाम रोलॉ को बड़ा कष्ट हुआ। उसने पति के छुटकारे के लिए परिषद् के नाम एक पार्थना-पत्र भेजा और स्वयं जाकर अध्यक्ष से मिली। परिषद् में बोलने के लिए उसने अध्यक्ष से आज्ञा माँगी। परन्तु वहाँ अधिकांश मनुष्य गिरोण्डिस्ट दल से जले-भुने बैठे थे, अतएव अध्यक्ष ने रोलॉ को चुप रहने का आदेश किया।

घर लौटकर रोलॉ अपने पति से मिली। उस समय उस पर से अभियोग हटा लिया गया था। उसी दिन रोलॉ ने पेरिस नगर के बाहर एक दूसरी जगह आश्रय लिया, परन्तु उसकी पत्नी वहाँ से न गई। सायंकाल

१०३