पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/१५१

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का यह पत्र, जिसमें उसने अपने प्रेम और यश दोनों की डींग हाँकी थी, मेरे सोने के कमरे में किस तरह पहुँच गया। उसने स्वभावतः यह समझा कि जादी के किसी आदमी ने मेरी किसी नौकरानी को रिश्वत देकर अपनी ओर कर लिया है। जादी के इन प्रेम-प्रदर्शनों से छुटकारा पाने के लिए और इस विचार से कि जादी मेरे चुप रहने का यह अर्थ न समझे कि मैं उसके प्रेम को स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, उस युवती ने निम्नलिखित पन्न उत्तर में भेजा-

"मिरजा ईमानदार, परिश्रमी और प्रतिष्ठित माता-पिता की लड़की है। उसके माता-पिता ने अपनी आँखों के सामने उसे समस्त आवश्यक सद्गुणों की शिक्षा दी है। मिरजा जादी के पूर्वीय, अत्युक्तिपूर्ण पत्र का उत्तर देने का कष्ट न उठाती, चाहे जादी का पद कितना भी उच्च क्यों न हो; किन्तु मिरजा को यह विश्वास न हुआ कि जादी मिरजा के उत्तर न देने का यह अर्थ समझ लेगा या नहीं कि मिरजा जादी के प्रेम-प्रदर्शन और धृष्टता को घृणा की दृष्टि से देखती है। मिरजा को इस बात की कोई आकाँक्षा नहीं है कि वह अपने पिता की जीविका, अर्थात् वाणिज्य-व्यापार से बढ़कर इस तरह के किसी नीच काम की ओर जाय। मिरजा उस धन के प्रलोभनों को घृणित समझती है, जो धन दूसरों को लूटकर और बर्बाद करके कमाया गया हो, विशेषकर जबकि वह धन निर्दोष स्त्रियों को बहकाने और उनके निष्कलंक चरित्र को कलंकित करने के लिए काम में लाया जाय। यदि जादी की क्रियात्मक बुद्धि और उसका युद्ध-कौशल अब लड़ाई के मैदान में और अधिक नहीं चमक सकता, तो उसे चाहिए कि शान्ति के उद्योगों को उन्नति दे और शान्ति से शासन करके करोड़ों दुखित जनता को फिर से शान्ति और समृद्धि प्रदान करे। सच्चे वीर वास्तव में वे हैं, जो मनुष्य जाति के मित्र हैं, उसके नाशक नहीं। यदि जादी वर्तमान मानव-समाज और उसकी भावी सन्तति की दृष्टि में उनका मित्र दिखाई देना चाहता है, तो मेरी राय में उसे चाहिए कि वह अपने उन कृत्यों का इतिहास, जिनकी वह डींग हाँकता है, अपने हाथ से लिखे। कायर देशी नरेशों को वश में किया गया, उन्हें धोखा दिया गया और अन्याय द्वारा उन्हें गद्दी से उतार दिया गया। निर्दय लुटेरों ने उनकी दुखित प्रजा को सताया। अब चाहिए कि

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