उनके देश की जिन पैदावारों पर गैरों ने अपना अनन्य अधिकार जमा लिया है, वे फिर से देशवासियों को दे दी जायें। मिरजा जादी के उन सब भयंकर कृत्यों को दुहराने का प्रयत्न न करेगी, जिनमें कि जन संहार, बर्बादी, एक अन्यायी को गद्दी से उतारकर उसकी जगह दूसरे अन्यायी को गद्दी पर बैठाना इत्यादि शामिल हैं। समय ही इस बात को साबित कर सकेगा कि योरोप और एशिया में जादी की कीर्ति न्याय द्वारा, प्राप्त की गई है, अथवा अन्याय द्वारा, और जादी के संग्राम मानव-जाति के अधिकारों का समर्थन करने के लिए लड़े गए हैं अथवा अपनी धन-पिपासा और महत्त्वाकांक्षा को शान्त करने के लिए। रही उपाधियों और सम्मान की बात, सो ये चीजें इतनी अधिक बार अयोग्य मनुष्यों को प्रदान की जाती हैं कि उन्हें सच्ची योग्यता और न्यायपरता का पारितोषिक नहीं कहा जा सकता। जादी को चाहिए कि वह निःस्वार्थ सेवा और दयालुता द्वारा भारतवासियों को इस बात का विश्वास दिलावे कि वह उनको दुःख देने के लिए नहीं, बल्कि उनकी रक्षा करने के लिए आया था। यदि भारतवासी क्षणिक शान्ति का सुख भोग रहे हैं, तो उसके साथ ही वे न्याय-विरुद्ध लूट-खसोट और दुष्काल के भयंकर कष्टों का भी अनुभव कर रहे हैं। जादी को चाहिए कि वह अपनी विजयों की छाया में स्वयं ही आनन्द से बैठे और प्रतिष्ठित घरानों को अपमानित और कलंकित करने का विचार न करे। सच्चा और हार्दिक प्रेम वास्तव में उच्च आत्माओं की एक वासना है, किन्तु वह पाशविक वासना नहीं, जोकि निर्दोष और सच्चरित्र लोगों को चरित्र-भ्रष्ट करने का अपने को अधिकारी समझती है। मिरजा चाहती है कि जादी पूर्ववत् आनंद से रहे और फिर कभी इस तरह एक व्यक्ति का अपमान न करे, जो अपने सदाचार के लिए जादी के आदर का पात्र है। जादी के धन और उसकी शान से चकाचौंध हो जाना वेश्याओं का काम है, मिरजा को जादी और उसके प्रेम-प्रदर्शन से हार्दिक घृणा है।"
इस उत्तर ने क्लाइव के पत्र-व्यवहार को समाप्त कर दिया। फिर कभी उसने उस महिला को पत्र लिखने का साहस नहीं किया।
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