पृष्ठ:आदर्श महिला.djvu/१०८

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आदर्श महिला
 
सत्यवान—सावित्री! उस वन के रास्ते में, पवित्र मुहूर्त्त में, तुमने इस अभागी को प्रेम की नज़र से क्यों देखा था?—पृ॰ ९३

इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग।