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आदर्श महिला
 

मनसि वचसि काये जागरे स्वप्नसंगे यदि मम पतिभावो राघवादन्यपुंसि।
तदिह दह ममाङ्ग पावनं पावकेदं सुकृतदुरितभाजां त्वं हि कमैकसाक्षी॥—पृ॰ ४३


इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग।