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आदर्श महिला

किया जाता है। तब अश्वमेध यज्ञ में रामचन्द्र की बग़ल में सहधर्मिणी का कार्य कौन करेगा? उन्होंने फिर विवाह तो नहीं कर लिया! इसी सन्देह से वे रामचन्द्र के स्नेह की त्रुटि-कल्पना करके सोच में पड़ी हुई थीं कि इतने में लव और कुश ने हँसते-हँसते उनके पास आकर कहा—मा! महर्षि कहते हैं कि आज वे हम लोगों को, रामायण के नायक, राजा रामचन्द्र का अश्वमेध यज्ञ दिखाने ले जायँगे। मा! हम लोगों ने रामायण में राजा रामचन्द्र के कितने ही सद्गुणों का परिचय पाया है। हमने नहीं सुना कि ऐसा आदर्श राजा और कभी किसी देश में हुआ हो। बात ही बात में महर्षि ने पत्र लानेवाले दूत से पूछा—'अश्वमेध यज्ञ तो स्त्री के साथ किया जाता है; परन्तु राजा रामचन्द्र ने प्रजा को प्रसन्न रखने के लिए अपनी साध्वी पत्नी को त्याग दिया है। अब क्या यज्ञ सम्पन्न करने के लिए उन्होंने दूसरा विवाह किया है?' दूत ने कहा—'वशिष्ठ आदि ने उनसे विवाह करने के लिए बहुत कुछ कहा-सुना किन्तु वे किसी प्रकार राजी नहीं हुए; वे अपनी साध्वी पत्नी की एक सोने की मूर्त्ति बनवाकर यज्ञ करेंगे।' मा! हम लोग रामचन्द्र का हाल पढ़कर विस्मित हुए हैं। अब यह समाचार पाकर हम लोग और भी अत्यन्त पुलकित हो रहे हैं। मा! आज्ञा दो कि हम लोग महर्षि के साथ वहाँ जाकर उस नर-देवता के दर्शन से कृतार्थ हों।

सीता ने हर्ष से आज्ञा दे दी। विकट खेद से उनका कलेजा जलता था। दोनों कुमारों की ज़बानी, यज्ञ-सम्पादन के लिए, सोने की सीता-मूर्त्ति बनाने की बात सुनकर उनको अपने सौभाग्य का गर्व हुआ। उनकी आँखों में आँसू दीख पड़े।

वाल्मीकि ने लव और कुश-सहित यज्ञ-भूमि में उपस्थित होकर दोनों शिष्यों को आदेश दिया कि तुम लोग घूम-घूमकर वीणा पर