पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/२५३

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यह एकाएक यहाँ कैले आ पहुँचे और इनको किसने खबर दी?

इसके अनंतर सास दामाद की क्या क्या बातें हुईं सो कहने से कुछ मतलब नहीं और न इस बात से प्रयोजन है कि पति के संन्यास ग्रहण कर लोने बाद क्योंकर प्रेमदा ने अपने पेट का पालन किया। आज पीछे उसने अवश्य ही कभी अपनी बेटी को भूल कर भी याद किया। हाँ वह अपने जीवनसर्वस्व स्वामी को सताने और उसी के दुःख से उनके चले जाने पर रोती पछताती शार्माती और अपने आपे को कोसती रही। दामाद के बहुत आग्रह करने पर भी उसने अधर्म बतला कर कभी अपनी बेटी दामाद से एक पाई की सहायता ग्रहण न की और सीने पिरोने से अपने घटते दिन पूरे कर लिये। इसके अनंतर न तो प्रेमदा का इस किस्से से कुछ लगाव रहा और न इस लिये उसके विषय में कुछ लिखने की आवश्यकता है।

हाँ! बहुत सोच बिचार के बाद पंडित कांतानाथ अपनी दुखदा को लेकर अपने घर आ गए। ऐसी दशा में उन्होंने यात्रा करना उचित न समझ कर बड़े भाई को इस घटना की खबर दे दी और उनके वापिस आने तक वह घर पर ही बने रहे। यद्यपि उन्होंने दुखदा के बहुत चिरौरी करने पर भी उसके हाथ का बनाया हुआ भोजन करने की जगह अपने ही हाथ से चार टिक्कड़ सेंक कर संतोष किया, यद्यपि उसके