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"बेशक यथार्थ है! वास्तव में सत्य है।"

इस तरह बातें करते करते जिस समय ये लोग गंगा के किनारे किनारे माधवराव के धरहरा के निकट पहुँचे तब इनकी इच्छा हुई कि "एक झलक इनमें से किसी पर चढ़कर काशी की भी देख लेनी चाहिए क्योंकि काशी भारतवर्ष की संसार प्रसिद्ध सप्तपुरियों में से है। गोस्वामी तुलसीदासजी ने कहा है कि --

"सेहय सहित सनेह दह भर कामधनु कलि कासी।
समन सोक संताप पाप कज सकल सुमंगल रासी॥
मर्यादा चहुँ ओर चरण वर सेवत सुरपुर बासी।
तीरथ सब सुभ अंग रोम सिव लिंग अमित अविनासी॥
अंतर अयन अयन भल थल फल बच्छ वेद विश्वासी।
गलकंबल बरूना बिभ्राति जनु लूम लसत सरिता सी॥
दंडपानि भैरव बिसाल मल रुचि खलगन भयदा सी।
लोल दिनेस त्रिलोचन लोचन कर्नघंट घंटा सी॥
मनिकर्निका वदन ससि सुंदर सूर मरिम सुखमा सी।
स्वारथ परमारथ परिपूरन पंचकोस महिमा सुखमा सी॥
विश्वनाथ पालक कृपालु चित लालति नित गिरिजा सी।
सिद्धि सची सारद पूजहि मन जुगवत रहत रमा सी।
पंचाक्षरी प्रान भुद माधव गध्य सुपंच नदा सी।
ब्रह्मजीव सम राम नाम दोउ आखर बिख बिकासी॥
चारित चरित कुकर्म कर्म कर भरत जीव गन कासी।