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प्रकरण--५५
संयेाग का सौभाग्य

हमारी पंडित पार्टी को आगरे में कुछ काम नहीं था । यदि थोड़ा बहुत कम भी निकल आवे तो जब ये घर पहुँचने की उतावल से अयोध्या ही न जा सके तब इससे बढ़कर आगरे में कौन कम हो सकता है ? खैर, यमुना स्नान करके कालिंदी कूल पर भोजन करने के अनंतर ये लोग गाड़ी के टाइम पर आ पहुँचे और वहां से सवार होकर अजमेर पहुँचे । मार्ग में कोई ऐसी घटना नहीं हुई जो उल्लेख करने योग्य हो। जब थोड़ा और बहुत, रेल का सफर करनेवाले के सामने स्टेशनों के गुण और दोष अनुभव में पक्का करने के लिये आ खड़े होते हैं तब उनके लिये भी कागज खराब करना अच्छा नहीं। हमारी पार्टी को घर छोड़े बहुत मास व्यतीत हो चुके,ज़र्रों ज्यो घर पास आता जाता हैं त्यों ही त्यों शीघ्र ही गृहप्रवेश के लिये चटपटी बढ़ने लगती है। ऐसी दशा में अब पंडित मंडली को इधर उधर के झगड़ों में उलझा रखना मानों उनके आतुर मनों को, संयोग की लालसा से मनमोदक बनाने का आनंद लूटते समय वियोग का पर्दा बीच में डालकर विषाद की झलक से उनके मुख कमल को मुरझा देता है। आइए, आइए, इसलिये अजमेर का स्टेशन आते ही बहुत काल के