पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/११२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
छठा परिच्छेद

साँचा:मुख्य धंधे-पशु पक्षियों पर अवलंचित धंधे '''

छठा परिच्छेद मुख्य धंधे-पशु-पक्षियों पर अवलंचित घंधे संसार में पालतू पशु-पक्षियों की संख्या अधिक नहीं है। मनुष्य समाज को पशु से मांस, दूध, तथा अन्य कन्चे पदार्थ ( Raw materials) मिलते हैं। जब मनुष्य समाज उन्नत अवस्था में नहीं था तभी पशु पालन प्रारम्भ हो गया था। आये दिन के अनुभव से मनुष्य ने जान लिया कि पशु बहुत उपयोगी हैं । इसी कारण सीधे और उपयोगी पशु पालतू बनाये गए । असंख्य वर्षों से पाले जाने के कारण पशु मनुष्य के श्राज्ञाकारी बन गए ! जब कि रेलों का आविष्कार नहीं हुआ था तब पशुओं की पीठ पर बैठ कर अथवा उनके द्वारा खींची गई गाड़ियों में ही बैठकर मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान को जाता था। आज मी पहाड़ी प्रदेशों, रेगिस्तानों, तथा कृषि प्रधान देशों में पशुओं का बहुत महत्व है। मांम (Ment) का धंधा मांस के लिए मुख्यतः गाय, बैल, मेड़ तथा सुअर को पाला जाता है। घोड़ा और बकरी भी मांस के लिए पाने जाते हैं किन्तु इनका स्थान गौण है। पशुओं को मांस के लिए पालने का धंधा उसी भूमि पर अधिकतर होता है जो खेती के योग्य नहीं है। जिस भूमि पर खेती नहीं की जा सकती उस पर पशुओं को चराकर मांस बनाया जाता है। किन्तु जिन देशों में श्राबादी बहुत बिखरी होती है अथवा जो बहुत पिछड़े होते हैं वहाँ खेती योग्य भूमि पर भी पशुओं को चराया जाता है। ऐसे प्रदेशों में या तो गमनागमन के साधन नहीं होते जिससे वहां की पैदावार बाहर नहीं मेजी जा सकती अपवा अन्य किसी कारण से वहाँ खेती नहीं हो सकती। जो कुछ भी हो मांस के लिए पशु उन्हीं प्रदेशों में चराये जाते हैं जहाँ की भूमि खेती के योग्य नहीं होती। संसार के प्रमुख पशु चराने के योग्य मैदान ( Parture lands) पश्चिमी एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, तथा आस्ट्रेलिया के सूखे घास के मैदान हैं जहाँ कि अगणित पशु चराये जाते हैं। योरोप में पशु चराने योग्य मैदान उन स्थानों पर हैं जहाँ कि भूमि बहुत गाय-बैल . 7