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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोक्ष उपजाऊ है अथवा पहाड़ों को ढालों पर हैं। पहाड़ों की ढालों पर सर्वत्र ही . पशु चराने की सुविधा है और यह धंधा वहां खूब होता है। जिन देशों में पशुओं को चराने के लिये यथेष्ट घास के मैदान हैं वहाँ पशुओं को पहले मैदानों में चराकर उन स्थानों पर लाया जाता है जहाँ मक्का इत्यादि चर्वी बढ़ाने वाले अनाज बहुतायत से मिलते हैं। कुछ दिनों पशुओं को वही रख कर मोटा किया जाता है फिर पशुओं को मांस बनाने वाले कारखानों को भेज दिया जाता । संयुक्त राज्य अमेरिका में इसी प्रकार पशुओं को शिकागो (Chicago) के समीपवर्ती प्रदेश में मोटा ', करके शिकागो के कारखाने में भेज दिया जाता है। मांस बनाने का धंधा अरजैनटाइन ( Argentina ), संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, तथा योरोप में महत्त्वपूर्ण है । संसार में समस्त मांस जो विदेशों को भेजा जाता है, दक्षिण अमेरिका उसका ४० प्रतिशत बाहर भेजता है। संयुक्त राज्य लगभग २५% मांस बाहर भेजता है। योरोप में डैनमार्क तथा बैलजियम और हालैंड से मांस बाहर जाता है । मांस बाहर से मँगाने वालों में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रॉस और इटली मुख्य हैं । अधिकांश मांस ऊपर लिखे हुए देशों से ब्रिटेन को ही जाता है । मांस के अतिरिक्त जिंदा पशुओं को भी भेजा जाता है जिससे मँगाने वाले देशों को ताजा मांस मिल सके । जिंदा पशुओं को बाहर भेजने वालों में प्रारजैनटाइन ( Argentina ) तथा आयरलैंड मुख्य हैं। किन्तु अब क्रमशः जिंदा पशुओं का बाहर भेजा जाना कम हो रहा है क्योंकि शीत भण्डार राति (Cold Stornge System ) का आविष्कार होने से मांस बहुत दिनों तक रखा जा सकता है और बह खराब नहीं होता । रिफरिजरेशन ( Refrigeration ) की उन्नति होने के कारण मांस का धंधा बहुत उन्नति कर गया है। अब कारखानों में मांस को भयडारों में भर- रखने तथा उसे योरोप भेजने में कोई कठिनाई नहीं होती। ताज़ा मांस भेजने के अतिरिक्त नमकीन मांस, सूखा मांस, तथा जमाया हुआ मांस भी मेजा जाता है। संसार में शिकागो ( Chicago ) मांस के धंधे का प्रधान केन्द्र है जहां सैकड़ों विशाल कारखानों में मांस तथा उसके अन्य गौण पदार्थ . ( By-products ) तैयार होते हैं। मांस बनाने के कारखानों में गाय और बैल के प्रत्येक अंग का, हडी खाल, वाल, खुर, सींग, अ'ते,'चत्री यहाँ तक कि खून का भी उपयोग कर स्तिया जाता है और उसकी वस्तुय बनाकर बेची जाती हैं। वास्तव में पशु