मुख्य घन्धे-खनिज सम्पत्ति १७६ खोदकर खाली कर दे तो आने वाली पीढ़ियों को अपने पूर्वजों की मूर्खता का फल विना मिले नहीं रह सकता। यही कारण है कि बहुत से विद्वानों का कहना है कि आवश्यक धातुओं का उपयोग बहुत किफायत के साथ होना चाहिए। क्योंकि धातुयें समाप्त भी हो सकती हैं। उस समय मनुष्य समाज के सामने बहुत कठिन समस्या उठ खड़ी होगी। पौधों की भाँति खनिज पदार्थो ( Minerals ) का सम्बन्ध जलवायु से नहीं है, यही कारण है कि खनिज पदार्थ प्रत्येक देश में पाये . धातुओं की बढ़ती हुई माँग के कारण मनुष्य ने सारी पृथ्वी छान डाली, यहाँ तक कि जिन प्रदेशों में वनस्पति उत्पन्न नहीं हो सकती, और अहाँ पहिले मनुष्य जाति निवास भी नहीं करती थी वे केवल खनिज पदार्थों के कारण श्राबाद हो गए । उत्तरीः अमेरिका का यूकान (. Yukan') का प्रान्त जो अत्यन्त ठंडा है केवल सोना उत्पन्न करने के कारण ही श्राबाद है। पश्चिम आस्ट्रेलिया में कालगूडी ( Kalgoordi ) और कालगूर्जी ( Kalgoorli) की खानों के समीप नगर बस गएं हैं । यह दोनों स्थान मरुभूमि में स्थित हैं, इस कारण लगभग ३०० मील की दूरी से नलों द्वारा यहाँ जल लाया जाता है । उस मरुभूमि में आबादी केवल सोने की खानों 'के कारण ही दिखाई देती है। प्रकृति ने धातुओं को पृथ्वी के गर्भ में बहुत नीचे इकडा किया है इस कारण अधिकतर खनिज पदार्थ पुरानी चट्टानों में ही पाई जाती हैं । जहाँ कि गहराई में स्थित चट्टानों को प्रकृति ने खोल दिया है और उन चट्टानों में विशेष परिवर्तन कर दिया है, वहीं अधिकतर लगने पाई जाती हैं। अधिकांश खनिज प्रदेश पुराने और टूटे हुए 'पूर्वीय प्रदेश में मिलते हैं। अमिमय (Igneous) चट्टानों में जो धातुओं के कण ' होते हैं उनके एक स्थान पर इकट्ठा करने के लिए ज्वालामुखी परिवर्तन (Volcanism ) तथा पानी की सहायता आवश्यक है। ज्वालामुखी परिवर्तन ( Volcanism ) के द्वारा प्रकृति ने चट्टानों के पातु कणों को एक स्थान पर इकट्ठा करने का कार्य किया है | ज्वालामुखी विस्फोट के कारण जल को पृथ्वी के गर्भ में गहराई तक जाने का अवसर मिलता है, पानी धातु के.कण को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है। लावा ने भी बहुत सी धातुओं को एक स्थान पर इकट्ठा करने में बहुत. सहायता दी है । जब पानी चट्टानों से छन- छन कर , अन्दर जाता है तो वह धातु षों के कणों को बहा कर एक-एक स्थान पर इकट्ठा कर देता है। अग्निमय ( Igneous ) चट्टानें जो गरम पानी -
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