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मुख्य धंधे––खनिज सम्पति

टिन मुलायम धातु है, इस कारण कठोर वस्तुओं के बनाने में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। यह धातु लोहे की पतली चादरों पर चढ़ाने तथा मोटरकार बनाने के काम में आती है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग अन्य धातुओं से मिश्रण करने में भी होता है। टिन का उपयोग पेंट तैयार करने में भी होता है। अधिकतर टिन धातु के बड़े-बड़े ढे़लों अथवा छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में धरातल को ऊपरी सतह के समीप ही मिलता है। इस कारण अधिकतर टिन को निकालने में खानों को नहीं खोदना पड़ता वरन् ऊपर से ही खोद कर धातु निकाल ली जाती है। संसार में सबसे अधिक टिन मलाया प्रायद्वीप में निकाला जाता है इसके अतिरिक्त स्याम (Sinm), चीन, पूर्वीय द्वीप समूह (East Indies) के बैंका (Banca) तथा बिलटन (Billiton) द्वीपों में, तथा बोलीविया (Bolivia) में भी बहुत टिन निकलता है। इसके अतिरिक्त नायगरिया (Nigerin), बर्मा, इङ्गालैंड की कार्नवाल (Cornrall) की खाने, आस्ट्रेलिया में कॉसलैंड, न्यू साऊथवेल्स, तथा टसमानिया से भी टिन निकलता है। मलाया प्रायद्वीप ( Malaya Peninsuin) को छोड़ कर बोलीविया में सबसे अधिक टिन निकलता है। इन्हीं दो प्रदेशों से टिन विदेशों को भेजा जाता है। पेनांग (Penang) तथा सिंगापूर (Singapore) के बन्दरगाह से ही अधिकांश टिन भेजा जाता है। टिन मँगाने वालों में संयुक्तराज्य अमेरिका U. S. A, ब्रिटेन तथा योरोपीय देश मुख्य हैं। संसार की टिन की सम्पूर्ण उत्पत्ति का लगभग आधा संयुक्तराज्य अमेरिका को जाता है, क्योंकि वहाँ मोटरकार बनाने का धंधा बहुत उन्नत दशा में है और उसमें टिन का उपयोग होता है।

संसार में टिन की उत्पत्ति

मलाया स्टेप
६४.०००. टन
 
डच पूर्वीय द्वीप समूह
३५,००० "
 
बोलीविया
२८,००० "
 
स्याम (थाईलैंड)
१६,००० "
 
चीन
१०,००० "
 
नाइगेरिया
१०,००० "
 
बैलजियन कांगो
८,००० "
 
अन्य दूसरे देश
१९,५०० "