. मुख्य धन्धे-खनिज सम्पत्ति देश घोड़ों की शक्ति, प्रति कुली जर्मनी १५ फ्रास ०.६७ इटली चीन ..१२ कुछ वर्षों से रूस और जापान ने अपनी शक्ति ( Power ) को बढ़ाया है। यदि प्रत्येक देश में प्रति कुली शक्ति की उपलब्धि को ध्यान में रक्खा जाये तो यह समझ लेने में कठिनाई नहीं होती कि इसी क्रम से इन देशों की सम्पत्ति भी लिखी जा सकती है। उपरोक्त कथन से यह तो स्पष्ट ही हो गया कि औद्योगिक उन्नति के लिए संचालन शक्ति की आवश्यकता है। अब देखना यह है कि मनुष्य के पास कौन-कौन सी शक्ति उत्पन्न करने के साधन उपलब्ध हैं और उनका औद्योगिक उन्नति पर क्या प्रभाव पड़ा है। प्रारम्भ में मनुष्य स्वयं अपनी शारीरिक शक्ति के द्वारा ही सारे उत्पादन कार्य करता था। धीरे-धीरे उसे ज्ञात हुआ कि पशुओं की शक्ति उससे कहीं अधिक है.। यस्तु भारी कामों में पशुओं का उपयोग किया जाने लगा। गदहा, घोड़ा, बैल, ऊंट इत्यादि पशु खेती-बारी का काम करने, बोमा लादने, पहियों को धुमाने, तथा मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए । यद्यपि आधुनिक काल में मनुष्य अपनी तथा पशुओं की शक्ति का उपयोग कम करता है फिर भी कृषि तथा माल ढोने में पशुओं का यथेष्ट उपयोग होता है। पश्चिम में यद्यपि भाप और बिजली का अधिक उपयोग होता है किन्तु पशु-शक्ति का उपयोग बिलकुल नष्ट नहीं हो गया है। मनुष्य का स्थान अब यन्त्र ने ले लिया है, वह केवल यन्त्र की देख भाल करता है। जैसे जैसे शक्तियों के नवीन साधन ढुंढ निकाले गये वैसे ही वैसे मनुष्य तथा पशु शक्ति का उपयोग कम होता गया। सबसे पहले जल-शक्ति का उपयोग किया गया। बहते हुए जल में कितनी शक्ति है, इसका अनुमान नदी की तेज धार देख कर ही मालूम किया जा सकता है। आजकल भी जहाँ जल बराबर तेज़ी से बहता रहता है वहाँ श्राटे की चक्कियों पानी की शक्ति से ही चलाई जाती हैं। भाप के आविष्कार के.पूर्व जल का ही शक्ति के रूप में अधिक उपयोग होता था। प्राचीन काल में औद्योगिक केन्द्र नदियों के किनारे इसी कारण बसाये गए। अधिकांश औद्योगिक नगर उस समय पहाड़ी की घाटियों में बसाये गए थे. क्योंकि नदियों की धार पहाड़ों में तेज होती है । इङ्गलैंड में पैनाइन (Pennine) पहाड़ी प्रदेश में ऊनी कपड़े का धंधा इसी कारण उन्नत हो सका | स्काटलंड,.
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