मुख्य धन्धे--खनिज सम्पत्ति होते हैं। आज कल कोयला औद्योगिक उन्नति का मुख्य साधन बन गया है। आज जो बड़े कारखाने चलाये जा रहे हैं वे कोयले के बल पर ही चल रहे हैं। आज जिन देशों के पास यथेष्ट कोयला है, वे ही औद्योगिक उन्नति कर सकते हैं । यद्यपि बीसवीं शताब्दी में जन्म द्वारा बिजली उत्पन्न की जाने लगी है और सम्भव है कि भविष्य में बिजली भाप से भी अधिक महत्वपूर्ण हो, किन्तु फिर भी कोयला बिलकुल नष्ट नहीं हो सकता । कोयला दो प्रकार से बना है या तो, दलदल के सघन वनों के वृक्ष गिर गिर कर पृथ्वी पर जमा होते गए। यह क्रिया हजारो वर्षों तक चलती रही जब तक कि अनन्त राशि में वनस्पति इकट्ठी न हो गई। अथवा पेड़ बह कर छिछली झीलों में जमा होते गए और धीरे-धीरे वे कोयले में परिणत हो गए। इसके उपरान्त अनन्त राशि में जमा हुई वनस्पति के ऊपर नदियों के द्वारा लाई.हुई मिट्टी जमा होती गई और यह वनस्पति का ढेर उसमें दब गया । यह वनस्पति गरमी तथा दवाव ( Pressure) के कारया कोयले में परिणत हो गई और यह कोयले की एक तह (Seam ) बन गई। किन्तु यह क्रिया बराबर जारी रही इसी कारण कोयले की एक तह ( Senm ) के कार दूसरी तह ( Seam ) मिलती है। कोयले की यह तहें ( Seams ) कुछ इंचों से लेकर हज़ारों फीट से भी अधिक मोटाई की होती हैं। यदि कोयले की तह कम से कम दो फीट मोटी होती है तो उसको खोद कर निकाला जाता है। इससे कम मोटाई होने पर वह खोदने के योग्य नहीं होती । अधिक से अधिक ४००० फीट की गहराई तक कोयला खोदा जा सकता है। इससे अधिक गहराई पर गरमी तथा दवाव की अधिकता होने के कारण खुदाई असम्भव हो जाती है। मरिया में कोयले की १८ तहें .( Seams ) मिलती हैं और उनको मोटाई कहीं-कहीं १.०० फंट से भी अधिक है । कोयले की तहें (Smins) कारबोनी फेरस ( Carboni. ferous ) युग की चट्टानों में ही मिलती हैं। के:यला कई प्रकार का होता है । कार्वन ( Curbon ) का अंश जितना अधिक होता है कोयला उतनी ही अधिक गरमी उत्पन्न कर सकता है। इसी के आधार पर कोयले को कई जातियों में बाटा जाता है :- (१) ऐन्थासाइट Anthracite कोयले में कार्बन Carbon सबसे अधिक होता है। इसमें ६५ प्रतिशत कर्बन होता है, इसमें बहुत कम धुओं निकलता है और न अधिक राख ही बचती है। यह सबसे अधिक गरमी उत्पन्न करता है । ऐन्यासाइट ( Anthracite ) सबसे अधिक कठोर होता है, इस कारण कठिनाई से जलता है।
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२०९
दिखावट