आर्थिक-भूगोल हैं जहाँ कच्चा माल तथा शक्ति ( Power ) उत्पन्न करने के साधन .. आसानी से उपलब्ध हो सकें। हमें केवल धरातल का ही अध्ययन नहीं करना होगा वरन् चट्टानों का भी अध्ययन करना होगा जिनके टूटने से मिट्टी बनी है। चट्टानों की बनावट पर ही धातुओं का होना निर्भर है। यही सब बातें किसी देश की पैदावार, खनिज सम्पत्ति ( Mineral wealth ) तथा आर्थिक उन्नति को निश्चित करती हैं। __ मनुष्य के जीवन पर जलवायु का बहुत अधिक प्रभाव है। गरमी, जल, तथा वायु मनुष्य के जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक जलवायुका है। वनस्पति ( Vegetation ) मी जलवायु पर प्रभाव ही निर्भर है। यद्यपि गरमी और जल थोड़ी बहुत मात्रा में सब जगह पाया जाता है, फिर भी इनके यथेष्ट मात्रा में न होने से अथवा ज़रूरत से ज्यादा होने से बहुत से प्रदेश मनुष्य के रहने के लिए उपयुक्त नहीं रहते । गरम रेगिस्तान, बर्फीले मैदान, तथा हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियों मनुष्य के निवास स्थान बनने के योग्य नहीं हैं । यद्यपि ऐसे स्थानों में भी कुछ मनुष्य रहते हैं परन्तु उनका जीवन इतना कठिनाई का है कि वहां अधिक जनसंख्या के निवास करने की कोई सम्भावना नहीं हो सकती। ____ जलवायु का सम्बन्ध उन पैदावारों से है जिन पर मनुष्य का जीवन निर्भर है अतएव वह जलवायु के प्रभाव से नहीं बच सकता। मनुष्य जलवायु को नहीं बदल सकता । यदि किसी प्रदेश में वर्षा बहुत कम होती है तो मनुष्य पानी नहीं बरसा सकता । अधिक से अधिक वह यह कर सकता है कि जहाँ पानी अधिक बरसता है वहाँ के पानी को नहरों द्वारा लाकर अपनी भूमि सींच ले । परन्तु सिंचाई थोड़ी सी ही भूमि को उपजाऊ बना सकती है, क्योंकि बिना वर्षा के केवल सिंचाई से ही सारा काम नहीं चल सकता । यही कारण है कि रेगिस्तान आज भी रेगिस्तान बने हुये हैं। नील नदी से थोड़ा सा प्रदेश सींचा जा सकता है किन्तु सारे रेगिस्तान को उपजाऊ नहीं बनाया जा सकता । केवल पैदावार ही नहीं उद्योग-धंधे भी बहुत कुछ जलवायु पर निर्भर हैं और अप्रत्यक्ष रूप से जलवायु का व्यापार पर भी प्रभाव पड़ता है। ____ मनुष्य की सभ्यता भी जलवायु से बिना प्रभावित हुये नहीं रहती। संसार में सबसे पहले सभ्यता ऊष्ण-प्रधान देशों में फैली। भाप का त्राविष्कार होने के बाद शीतोष्ण ( Temperate ) देशों में उसका प्रादुर्भाव हुआ । यह सब जलवायु का ही कारण है। उत्तर तथा दक्षिण ध्रुवों के प्रदेशों, ( Polar Regious ) दलदल मैदानों, तथा विषुवत रेखा
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