प्राधिक भूगोल लम्बा और एकसा होता है अतएव उसे कातने की आवश्यकता नहीं पड़ती रेशम का तार लगभग ५०० गज का होता है। रेशम के तार से ही रेशमी ODS how Silt कपड़े तैयार किए जाते हैं । यदि रेशम को सूत अथवा ऊन में मिलाना होता है तो इनके साथ रेशम के तार को मिला कर काता जाता है। शुद्ध रेशमी डोरा तैयार करने में तो केवल रेशमी तार को थोड़ा ऐंठ दिया जाता है। अधिक मजबूत तार तैयार करने के लिए कई तारों को एक साथ मिला कर ऐंठ देते हैं। किन्तु सब रेशम इसी प्रकार का नहीं होता । बहुधा ककून ऐसे भी होते हैं जिनका तार निकाला नहीं जा सकता । इन ककूनों को साफ करके उनको कातना पड़ता है किन्तु कते हुए रेशम में वह चमक और सुन्दरता नहीं रहती जो रीलिंग ( Recling ) द्वारा निकाले हुए रेशमी तारों में रहती है। अधिकतर कते हुए रेशम का उपयोग सूती तथा ऊनी कपड़े में मिलाने के लिए, घटिया रेशमी कपड़ा टसर इत्यादि बनाने, रेशमी डोरा तैयार करने, तथा रिबन और वैवट तैयार करने में होता है। रेशमी कपड़े की मांग पिछले दिनों में बहुत बढ़ गई है। रेशमी कपड़े का प्रचार बढ़ने के कारण इसकी मांग भी बढ़ गई है। जब से रेशम को सूत, ऊन, जथा.नकली रेशम के साथ मिला कर सस्ते रेशमी कपड़े तैयार करने में सफलता मिल गई है तब से इसकी माँग बहुत बढ़ गई क्योंकि मूल्य कम हो जाने से सर्व साधारण मी इसका उपयोग करने लगे हैं। मूल्य के कम होने का एक कारण यह भी हुआ कि अब अधिकतर रेशमी कपड़ा पावरलूम ( शक्ति संचालित कर्घा) से तैयार होने लगा है। इससे पहले अधिकांश बढ़िया रेशमी कपड़ा कारीगरों द्वारा हाथ के कों पर तैयार होता था।
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