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आर्थिक भूगोल

- ३४० श्राधिक भूगोल इसके अतिरिक्त श्रोट और गेहूँ की पैदावार भी यहाँ बहुत होती है। सैक्सनी और सिलीशिया में गेहूं की बहुत पैदावार होती है। उत्तर मैदानों में बालू भी बहुत उत्पन्न होता है । श्रालू यहाँ. का मुख्य भोज्य पदार्थ है । इसकी शराब भी तैयार की जाती है । चुकन्दर की पैदावार मैजबर्ग ( Mugeburg ) तथा सिलीशिया के प्रान्त में बहुत होती है । चुक न्दर की खेती में यहाँ बहुत से मनुष्य लगे हुए हैं। मैजबर्ग शक्कर के धन्धे का केन्द्र है। चुकन्दर का छिलका तथा गूदा पशुओं को खिलाया जाता है। इस कारण इस प्रदेश में पशुपालन भी होता है। इस प्रदेश में खनिज पदार्थ अधिक नहीं मिलते। यह पथरीला प्रदेश है और खेती बारी के योग्य नहीं है । गेहूँ, जई, (-Rye ) और आलू की पैदावार अधिक होती है। सैक्सनी नदियों की उपजाऊ घाटियों में फलों के बाग हैं। ढालों पर जंगल बहुत पाये जाते हैं तथा भेड़ें चराई जाती है। खनिज पदार्थ अवश्य यहाँ अधिक मिलते हैं। लोहा, टिन, रांगा और चादी यहाँ निकाला जाता है । इनमें लोहे की खाने विशेष महत्व की हैं ज्वीकाऊ (Zwickau) तथा केमिट ज ( Chemnitz) में लोहा अधिक निकाला जाता है । ज्वीकाऊ की खानों में लोहे के समीप ही कोयला भी मिलता है । इस कारण इस प्रदेश में लोहे का धन्धा पनप गया है। वहाँ के पर्वतीय ढालों पर मैरिनों जाति की भेड़ बहुत पाली जाती है । इस कारण यहाँ ऊनो कपड़े का धन्धा भी होता है । इस प्रदेश में लकड़ी तथा पानी की बहुतायत होने के कारण यहाँ काग़ज़ और बड़ी घड़ियों का धन्धा केन्द्रित है। खेती की अपेक्षा जर्मनी में उद्योग धन्धे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। जर्मनी की औद्योगिक उन्नति में कोयले तथा जलशक्ति की जर्मनी के बहुतायत विशेष सहायक हुई है । रुर ( Ruhr ), उद्योग-धन्धे सैक्सनी ( Saxony ) तथा सिलीशिया (Silesia) मुख्य कोयले के प्रदेश हैं । रुर योरोप की सबसे बड़ी कोयले की खान है । लिगनाइट -प्रशा, थूरिजिया और सैक्सनी में बहुत निकलता है। लोहे का धन्धा विशेष रूप कोयले पर निर्भर है। १९१६ के उपरान्त लारेन का प्रान्त छिन जाने से जर्मनी में लोहे की कमी हो गई थी इस कारण जर्मनी को लोहा वाहर से मँगाना पड़ता था किन्तु १९३६ के युद्ध में जर्मनी ने लारेन का प्रान्त फिर जर्मनी में मिला लिया । जहाँ जहाँ कोयले को खाने