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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल मानसून लौटने लगती है। जिन भागों में सबसे आखीर में वर्षा पहुँचती है उन्हीं भागों में से सबसे पहले लौटती है । नीचे दी हुई तालिका से यह ज्ञात हो जायगा कि भिन्न भिन्न प्रान्तों में मानसून कब पहुँचती और वापस लौटती है। प्रारम्भ-अन्त बम्बई- ५ जून-१५ अक्टूबर बंगाल- १५ जून-३० अक्टूबर संयुक्तप्रान्त- २५ जून-३०सितम्बर पंजाब १ जूलाई-१४-२१ सितम्बर अरब सागरी मानसून दक्षिण की और राजपूताना, गुजरात और दक्षिण से लौटती है । इसी प्रकार बंगाल खाडी की मानसून गंगा के मैदानों से लौटती है। गरमी के दिनों में चलने वाली मानसून से भारतवर्षे के भिन्न भिन्न भागों को जल मिलता है। किन्तु वर्षा एक सी नहीं होती। कहीं अधिक कहीं कम। पश्चिमी घाट के पश्चिमीय ढाल पर वर्षा १०० इंच होती है किन्तु पूर्वीय ढाल पर केवल ४० इंच ही वर्षा होती है। बर्मा के तर पर भी वर्षा १०० इंच होती है किन्तु अन्दर की ओर केवल २०. इंच से ४० इंच तक वर्षा होती है। दक्षिण प्रायद्वीप में तो वर्षा और भी कम अर्थात् १५" से ३०" तक ही होती है। मध्यप्रान्त, संयुक्तप्रान्त, तषा मध्यभारत में वर्षा २५" से ५०" तक होती है। पूर्वीय बंगाल तथा आसाम में ६५" वर्षा होती है और शेष बंगाल में ५५" वर्षा होती है। बिहार में वर्षा का औसत ४५" है। उत्तर भारत में वर्षा पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है। पंजाब में वर्षा कम होती है। पूर्वीय पंजाब में वर्षा २०" होती है किन्तु पश्चिम में केवल " ही वर्षा होती है। अक्टूबर से दिसम्बर तक मानसून उत्तर से दक्षिण की ओर लौटती है। दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में लौटती हुई मानसून जाड़ों की वर्पा समुद्र को पार करती है। पूर्व में यह लौटती हुई मानसून कारोमंडल तट, लोअर वर्मा, तथा बंगाल की खाड़ी के द्वीपों को जल देती है और पश्चिम तट पर इससे मालावार तट पर वर्षा होती है। मदरास के समीपवर्ती जिलों में १५" वर्षा होती है। इससे दक्षिण में ७' के लगभग वर्षा होती है। हैदराबाद तथा बम्बई के दक्षिण में ४' वर्षा होती है। बिहार, उड़ीसा तथा संयुक्त-प्रान्त में भी इन दिनों थोड़ी वर्षा होती है।