सत्रहवा परिच्छेद खनिज सम्पत्ति ( Mineral Wealth') भारतवर्ष के बहुत से प्रान्तों में लोहा पाया जाता है किन्तु बिहार, उड़ीसा, तथा मैसूर में लोहा बहुत अधिक निकलता लोहा है। हैदराबाद और मध्यप्रान्त में भी थोड़ा लोहा निकलता है । वास्तव में भारतवर्ष का लौह प्रदेश बिहार और उड़ीसा में है। लोहे की खाने सिंगभूमि जिले और क्योंझर, बोनाई, तथा म्योरभंज रियासतों में हैं। इनकेअतिरिक्त उड़ीसा की अन्य रियासतों में भी लोहे की खानें हैं। इन खानों में अनन्त राशि में लोहा भरा पड़ा है। मिस्टर सेसिल-जोन्स का कथन है कि ये खाने संसार की अल्यन्त धनी खानों में से हैं। ऐसा अनुमान किया जाता है कि इन खानों में २८३२० लाख टन लोहा मौजूद है .। यही नहीं कि इन खानों में बहुत लोहा भरा हुआ है साथ ही इनमें बहुत अच्छी जाति का लोहा मिलता है । इन खानों में लोहा बहुधा ऊपर की सतह में ही मिल जाता है, इस कारण उसको खोद कर निकालने में कम खर्च होता है। कहीं कहीं तो मैदानों में ही लोहा निकलता है। इन पहाड़ियों में 'बोनाई " रियासत की 'कोमपिलाई" पहाड़ी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । इस पहाड़ी की समान दूरी पर और मी पहाड़ियाँ हैं जिनमें लोहा निकलता है। इस कच्चे लोहे में लगभग ६० प्रतिशत शुद्ध लोहा निकलता है । इस प्रदेश में हैमेटाइट कच्चा लोहा ( Hematite Ore) हो मिलता है। मैगनेटाइट ( Magnetite ) जाति का कच्चा लोहा नाम को भी नहीं मिलता। विहार, उड़ीसा के अतिरिक्त मध्यपान्त में भी लोहे की खाने हैं। चाँदा जिले में कम से कम दस पृषक् खाने हैं जिनमें कुछ तो बहुत बड़ी हैं। मध्यप्रान्त के जिले में पहाड़ियों के रूप में कच्चा लोहा मिलता है और ये खाने बस्तर राज्य तक फैली हुई हैं। मैरपूर राज्य में कादूर जिले की खानें बहुत धनी हैं और उनमें अच्छी जाति का लोहा मिलता है।
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