पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४२४

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खनिज सम्पति

खनिज सम्पत्ति CARE शीशा बनाने का धन्धा भारतवर्ष के पुराने धन्धों में से है। अत्यन्त प्राचीन काल कुछ स्थानों में शीशे की चूड़ियाँ तथा शोशा बनाने शीशे की अन्य वस्तुएँ बनती है। किन्तु श्राधुनिक ढंग के पदार्थ के कारखानों की स्थापना अभी थोड़े ही दिनों से हुई है। प्रारम्भ में शोशे के कारखानों को स्थापित करने में सफलता नहीं मिजी क्योंकि शीशे को तैयार करने के लिए उपयुक्त रेत नहीं मिला । किन्तु अब बंगाल में राजमहल की पहाड़ियों में संयुक्तपान्त में नैनी के पास लोघरा तथा बोरगढ़ में, तथा बड़ौदा और बीकानेर राज्यों में शीशा बनाने के लिए उपयुक्त अन्छा रेत मिल गया है। अधिकांश रेत पत्पर के रूप ( Sand Stone ) में, मिलता है। इन पत्थरों को पीस कर रेत बनाया जाता है। रेत के अतिरिक्त सोडा, ऐश (ash ) तथा चूना भी शीशा बनाने के लिए आवश्यक है। नैनी के समीप चूना भी मिलता है । मध्यप्रान्त, मध्यमारत, राजपूताना, तथा पंजाब में अधिकांश मकान पत्थरों के बने होते हैं क्योंकि वहाँ पत्थर बहुतायत से ईट तथा मिट्टी मिलता है। किन्तु संयुक्तपान्त, बिहार, बंगाल, तपा के वर्तन आसाम में अधिकांश मकान ईट, मिट्टी और खपरैल के बने हाते हैं। इन प्रान्तों में पत्थर नहीं मिलते और मिट्टी ईट तथा खपरैल बनाने के उपयुक्त है। यही कारण है कि इन प्रान्तों में ईट बनाने का धन्धा विशेष उन्नति कर गया है। प्रत्येक शहर तथा कस्बे के समीप ईटों के भट्टे मिलते हैं, क्योंकि उत्तर के गंगा तथा ब्रह्मपुत्र के मैदानों में मिट्टी ईंट बनाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। इस पन्धे के लिए अच्छी मट्टो तथा कोयले और लकड़ी की आवश्यकता होती है। बंगाल में ईट के भट्टों में कोयले का उपयोग होता है। संयुक्तप्रान्त में अधिक- तर लकड़ी का उपयोग होता है। भारतवर्ष में अधिकतर छोटे छोटे भट्टों में हाप से ईट बनाई जाती हैं। ऐसे मट्टे शहरों के पास होते हैं जहाँ की मिट्टी बहुत अच्छी नहीं होती। दूसरे ईट को शीघ ही सुखाया नहीं जा सकता इस कारण ईट वायु से जल को सोख लेती है और पकने पर चटक जाती है। किन्तु मशीनों के द्वारा ईट बनाने से यह कठिनाई उपस्थित नहीं होती । यत्रों द्वारा ईंट बनाने के बड़े कारखानों को स्थापित करने में एक कठिनाई यह उपस्थित होती है कि वह उसी स्थान पर खड़े किए जा सकते हैं जहाँ कि अच्छी मिट्टी बहुतायत से मिल सके। यह बावश्यक नहीं है कि ऐसे स्थान शहरों के पास ही हो । यदि सड़कों का अधिक विस्तार हो तो मोठरं लारियों के द्वारा 'सस्ते