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आर्थिक भूगोल

. चाधिक भूगोल किराये में ईटों को ले जाने की सुविधा हो जाये तो बड़े बड़े कारखाने ऐसे स्थानों पर अधिक स्थापित किए जायेंगे जहाँ अच्छी मिट्टी मिलती है और कोयला मिलने की सुविधा है। अभी तक यंत्रों द्वारा ईट बनाने के कारखाने कम ही हैं। मारतवर्ष में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग बहुत अधिक होता है, सुराही, चिलम, मटका प्रत्येक भारतीय के घर में दिखाई देते हैं। साथ ही शादी तपा अन्य अवसरों पर भी मिट्टी के बर्तनों की बेहद मांग होती है। प्रत्येक गांव, कस्बे और शहर में लाखों की संख्या में कुम्हार इस धंधे में लगे हुए हैं। यह बर्तन शीन ही टूट जाते हैं तथा एक बार काम में लाये जाने के उपरान्त इनको फेंक दिया जाता है। इस कारण इनकी माँग बराबर बनी रहती है। इन बर्तनों पर ग्लेज़ नहीं होता है। कुछ दिनों से भारतवर्ष में चीनी मिट्टी के बर्तनों का भी प्रचार तेजी हे बढ़ रहा है। इस धन्धे के लिए देश में विस्तृत क्षेत्र है। चीनी मिट्टी के बर्तनों के कारखानों के लिए अच्छी मिट्टी, सस्ता कोयला और मार्ग की सुविधा आवश्यक है। भारतवर्ष के कई प्रान्तों में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए उपयुक्त मिट्टी मिलती है और देश में बहुत से कारखाने स्थापित हो गए हैं। भारतवर्ष में चीनी मिट्टी के बर्तनों के कारखानों के तीन प्रमुख केन्द्र हैं । कलकत्ता, रानीगंज झरिया, तथा ग्वालियर । कलकत्ता के समीपवर्ती क्षेत्र में स्थापित कारखाने संथाल परगना तथा भागलपूर जिले की मिट्टी उपयोग में लाते हैं। रानीगंज तथा बिहार के कुछ जिलों में भी अच्छी मिट्टी मिलती है। रानीगंज के क्षेत्र में कोयले की सुविधा के कारण बहुत से कारखाने स्थापित . किये गये हैं। ग्वालियर के कारखानों में ग्वालियर राज्य में मिलने वाली मिट्टी काम में आती है। यहां के कारखाने जबलपूर से भी मिट्टी मँगाते हैं। इनके अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी चीनी मिट्टी के बर्तनों के कारखाने हैं। ईट के अतिरिक्त चूने का भी मकान बनाने में बहुत उपयोग होता है। चूना चूने के पत्थर ( Lime Stone ) से तैयार किया . जाता है। चूने का पत्पर रीवा.राज्य के सतना जिले में जबलपुर के कटनी नामक स्थान पर, आसाम में सिलहट में, दक्षिण विहार तथा मध्यमारत के विसरा नामक स्थान पर बहुत मिलता है। कंकड़ से भी चूना तैयार किया जाता है। कंकड़ देश के बहुत बड़े माग में पाया जाता है। कंकड़ को फूंक कर पीसा जाता है तब चूना तैयार होता है। उत्तर तथा दक्षिण भारत में कंकड़ का उपयोग सड़क बनाने में भी होता है। .