खनिज सम्पत्ति कारण उसको निकाला नहीं जा सकता । मैसूर के चीतलदुर्ग में भी ऐंटीमनी की खाने हैं। यद्यपि हीरा इत्यादि बहुमूल्य पत्थर निकालने का धन्धा देश में बहुत पुराना है किन्तु भारत में अब बहुमूल्य पत्थर बहुत बहुमूल्य पत्थर कम निकलता है। अनन्तपूर बैलारी, क्रिश्ना, गंटूर, और गोदावरी जिलों में (मदरास) उड़ीसा के सम्भलपूर जिले में, मध्यप्रान्त के चांदा जिले, बुंदेल खंड तथा मध्य, भारत के राज्यों में कुछ हीरा निकलता है। बिहार, उड़ीसा, जबलपूर, मैसूर, देहली और मदरास में चीनी मिट्टी मिलती है जिससे चीनी मिट्टी के बर्तन बनते हैं। औद्योगिक मिट्टिणं राजपूताना, मैसूर, तथा मध्यप्रान्त में Fullersearth (Clays) पाई जाती है। कोबाल्ट खेतरी राज्य (जयपूर-राजपूताना ) तथा नेपाल में बहुत कोबाल्ट (Cobalt) मिलता है।
- प्रकृति ने भारत को खनिज पदार्थ भी अधिक राशि में दिए हैं। पिछले
दिनों में खनिज पदार्थो के सम्बन्ध में जो जांच हुई भारत की खनिज है उससे पता चलता है कि भारत खनिज पदार्थों को सम्पत्ति दृष्टि से निर्धन नहीं है । बहुत से नवीन खनिज प्रदेशों का पता लगा है। प्रतिवर्ष ४० करोड़ रुपये का खनिज पदार्थ भारतीय खानों से निकाला जाता है। 'जितनी भी धातुयें और खनिज भारत में निकलती है उनमें मुख्य नीचे लिखी हैं:-लोहा, कोयला, मैंगनीज, अबरख, नमक, पैट्रोलियम । मुख्य खनिज पदार्थों की उत्पत्ति लोहा १९४० में १७ करोड़ रुपये १०.५ करोड़ रुपये (लड़ाई के पूर्व) ३२ कोयला मैंगनीज सोना पैट्रोलियम अबरख (mica) इमारती पत्थर नमक " 99