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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल गई। इनके अतिरिक्त ६ छोटी कालोनियों जिनका क्षेत्रफल पचास हज़ार एकड़ है और बसाई गई । सरकार ने इन नहरों के निकालने में जितना रुपया व्यय किया है उस पर २५ प्रतिशत प्रतिवर्ष सरकार को लाभ होता है। Canols Jhelum इन नहरों के निकालने से पंजाब के पश्चिमी जिले, जो कि पहले वीरान थे, अब बहुत उपजाऊ हो गए हैं। किसानों की हालत पहले से वहुत अच्छी है। पूर्व के धने श्राबाद जिलों से आकर किसान यहाँ बस गए हैं। इन नहरों के कारण ही पंजाब में इतनी अधिक गेहूँ की खेती होतो है। पंजाब के दक्षिण में सतलज नदी बहती है। उसके दोनों ओर वृटिश राज्य तथा बहावलपूर राज्य में बरसाती नहरों (Inun . सतलज-की नहरें dation canals ) से सिंचाई होती थी। बरसाती नहरों से केवल उन्हीं दिनों सिंचाई होती थी जबकि नदी में बाढ़ पाती पी किन्तु शेष महीनों में नहरें सूखी रहती थीं। इस. समस्या को हल करने के लिए सतलज से स्थायी नहरें निकाली गई। इन नहरों के निकल जाने से मरुभूमि उपजाऊ भूमि बन गई है। वीरान तथा शुष्क प्रदेश में लहलहाती खेती दिखाई देती है।