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आर्थिक भूगोल

. प्राधिक भूगोल किसान को आपाशी देनी होती है। इसका फल . यह होता है कि किसान पानी की किफायत करता है। ट्य य-वैन से एक लाभ और हुआ है । जो नहरें पश्चिम जिलों की ओर बहता हैं वे जब अधिक पश्चिम में पहुँचती हैं तब . उनमें पानी बहुत कम रह जाता है जिससे सिंचाई पूरी नहीं हो पाती। अब उन नहने के दोनों ओर उन जिलों में जहाँ कि पानी अधिक बरसता है और नहरों पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती ट्य ब-वैल बनाये गए हैं जो पृथ्वी के नीचे बहने वाले पानी को नहर में डालते रहते हैं ' जिससे कि नहरों में पानी अधिक रहे और पश्चिमी जिलों में ठोक प्रकार से सिंचाई हो सके। श्रारम्भ में यह भय था कि इन ट्यूब वैलों के बनने से कहीं पृथ्वी के • नीचे का पानी अधिक गहराई पर न चला जाये । यदि पृथ्वी के अन्दर बहने वाला पानी अधिक गहराई पर चला जाये तो सोत के कुंयें सब सूख जाने और प्रान्त में खेती को भयंकर हानि होने की सम्भावना उत्सम हो जाये। संयुक्तप्रान्त की सरकार ने इस बात की जाँच के लिए तीन विशेषज्ञों की कमेटियों बिठाई। उन सों का यही मत है कि ट्य ब-वैल जितना पानी पृथ्वी से प्रतिवर्ष निकालेंगे उससे अधिक पानी प्रतिवर्ष पृथ्वी के अन्दर पहुँचता. रहेगा। इस कारण अन्दर का पानी अधिक गहराई पर नहीं जा सकता। अहमदाबाद मिलों के लिए २१ ट्य ब-वैल बनाये गए हैं जो चार लाख गैलन पानी प्रति-घंटे देते हैं। भारतवर्ष में पाताल फोड़ (Artesian') कुयें नहीं हैं। पाताल 'फोड़ कुत्रों को बनाने के लिए ६००० से १०००० फीट तक गहरा खोदना. पड़ता है.|-अहमदाबाद के समीप छालोदा में एक पाताल फोड़ कुआं है. जो प्रति दिन ३५०,००० गैलन पानी देता है। रात दिन कुयें से पानी अन्दर के दवाव: के कारण स्वयं निकल कर बहता रहता है । सरकार गुजरात के कुछ गांवों : में पाताल फोड़,ट्य ब-वैल बनाने का विचार कर रही है। तालाब भी सिंचाई के महत्वपूर्ण साधन हैं। दक्षिण प्रायद्वीप में तालावों. से सिंचाई होती है । राजपूताना, मध्यभारत, हैदराबाद , तालाब T-मैसूर राज्यों में बड़े बड़े बाध बनाकर झीलें बनाई। गई हैं जिनसे सिंचाई होती हैं। राजपूताने में उदयपूर, अलवर, भरतपूर, मध्य-भारत में इंदौर. भूपाल और ग्वालियर राज्यों में बड़े, बड़े तालाब बनाये गए हैं। उदयपूर की ढ़ेवर मोल (जय. समुद्र ) भारतवर्ष की सबसे बड़ी नकली झीलों में से है। इसका क्षेत्रफल - ५४ वर्ग मील "है ।। तथा