भाषिक भूगोले कारखाने मी बहुत मोटा कपड़ा बनाते थे। अधिकांश वस्त्रं बाहर से आती पायोरोपीय महायुद्ध के उपरान्त लोहा स्टील, सीमेंट, कागज, दियासलाई, शक्कर, शीशा तपा-वस्त्र व्यवसाय की उन्नति शीघता से हुई। किन्तु फिरें भी प्रौद्योगिक दृष्टि से भारतवर्ष आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है। जि भी भारतवर्ष विदेशों में अधिकतर पक्का माल मँगाता है और कच्चा माल बाहर भेजता है। भारतवर्ष के बौद्योगिक दृष्टि से पिछड़े रहने के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं। (१) देश का एक विदेशी सरकार के अधीन होनों जो कि भारतवर्ष की औद्योगिक उन्नति के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिं' कोण नहीं रखती और न उन्हें प्रोत्साहन देना ही पसंद करती है । (२) भारतवर्ष में • यन्त्र बनाने.का.धंधा तथा रसायनिक धंधे.--(Chemical-- Industries) ... go शमगर बरसाये .mमित कि यम से निपल शति मा होममानने लने (पार) पालने का न होना । बिना यंत्र बनाने के धंधे तथा रसायनिक धंधों की उन्नति हुये कोई देश प्रौद्योगिक उन्नति नहीं कर सकता क्योंकि अन्य धंधे इन पर निर्भर रहते हैं। यह आधारभूत :धंधे ( Key: Industries :) हैं। (३) भारतवर्ष में यथेष्ट.उत्तम कोयले की कमी और उसका देश के सुदूर पूर्व में केन्द्रित होना । देश के अधिकांश भाग. में कोयला मिलता ही नहीं और
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