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2 उद्योग-धंधे
- बंगाल तथा बिहार की कोयले की खानों से , मँगाने में व्यंया बहुंत होता है।
यही नहीं मारतवर्ष में कोक बनाने योग्ये कोयले की बहुत कमी है। इसी कारण भारत में अधिकतर वहः धधे स्थापित किये गये हैं जिनमें कोयले की अधिक श्रावश्यकता नहीं पड़ती। उदाहरण के लिए अन्न-व्यवसाय, जूट, शक्कर कागज, इत्यादि। (४) भारतवर्ष में प्रौद्योगिक अनुसंधान i (: Industrial Research.)) का प्रभावः। बहुत सा कच्चा माल हमारे यहाँ ऐसा है जिसका औद्योगिक उपयोग क्या हो सकता है हम यह जानते
- ही नहीं, उदाहरण के लिए कुछ समय पूर्व किसी को भी ; यह ज्ञातं नहा
कपा कि बांस से कागज बनाया जा सकता है। (५) भारतवर्ष में कुछ पूंजीपति मैनेजिंग एजेंट हैं जो कि नये कारखाने स्थापित करते हैं। जब वे इकोई कंपनी स्थापित करते हैं तो साधारण जनता उनके नाम से प्रभावित होकर हिस्से खरीद लेती है परन्तु एक साधारण व्यक्ति फिर वह चाहे कितनी ही व्यवसायिक योग्यता क्यों न रखता हो यदि कोई कारखाना स्थापित करना चाहे तो. उसे पूंजी नहीं मिल सकती । ..अधिकांश : मैनेजिंग एजेंसी फर्मे अंग्रेजों की हैं। कुछ भारतीय व्यवसायियों की हैं। जब तकः औद्यौगिक बैंकों के द्वारा प्रतिभावान व्यवसायिक योग्यता वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहन नहीं मिलता और पूजी प्राप्त होने में सुविधा नहीं होती तब तक: प्रौद्योगिक उन्नति शीमता पूर्वक नहीं हो सकती. (६) भारतवर्ष में कुशल मजदूरों की कमी भी देश की श्रौद्योगिक उन्नति में एक रुकावट अब हम देश के मुख्य धंधों का संक्षिप्त विवरण लिखेंगे। भारतवर्ष अत्यन्त प्राचीन काल से सूती वस्त्र बनाने के लिए प्रसिद्ध यो । ढाका, मुर्शिदाबाद के बने हुये कंपड़े योरोपीय सूतीवलं राजधानियों में ऊँची कीमत पर बिकते थे। किन्तु ऊपर व्यवसाय लिखे हुये कारणों से देश का यह प्रमुख घषा नष्टप्राय F(Cotton Textile) हो गया और भारतवर्ष संकाशायरः और मैंचेस्टर For: शायर से सूती कपड़ा मँगाने लगा। क्रमशः भारतवर्ष में भी आधुनिक ढंग के कारखाने स्थापित हुये और यह धंधा उन्नति करता गया। सर्वप्रथम-१६५१. में श्री कवीसजी:मनामाई डॉवर महोदय ने बम्बई में स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल के नाम से एक सूती कपड़े का कारखाना-खोसा । लगभग उसी समय एक कारखाना :भड़ौच में स्थापित हुश्रा -1 इन कारखानों को दो बड़ी सुविधाये थी एक तो कास'समीप ही थी और बाज़ार भी समीप हो पा जहां कपड़े की खपत थी. इस : कारणं यह सफल हुए। फलस्वरूप -- ! .