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आर्थिक भूगोल

र . आर्थिक भूगोल बारकर-थायरनं वर्क्स के नाम से प्रसिद्ध था। इस कारखाने में केवल पिग आयरन तैयार होता था. स्टील बनाने के प्रयत्न असफल रहे क्योंकि विदेशों से आने वाला स्टील बहुत सस्ता था। १९२० में कंपनी ने सिंगभूमि के " पनसिरा बुरा" और "बुदा बुरा" क्षेत्रों से.लोहा लेकर अधिक पिग आयरन बनाना प्रारम्भ किया। इसी वर्ष बंगाल आयरन और स्टील कंपनी ने कारखाने को ले लिया और कुल्टी में नया कारखाना : स्थापित किया। यह कारखाना अब पहले से दुगना :पिग आयरन तैयार करता है। कुल्टी आयरन वर्स कोयले और लोहे के क्षेत्र के समीप ही स्थापित किया गया है। यह दामोदर नदी की शाखा. बाराकर नदी : पर. है। लोहा कोलहन राज्य की खानों से मिलता है और कोयला कुल्टी से दो मील पर स्थित रामनगर की खानों से मिल जाता है। इसके अतिरिक्त झरियाः क्षेत्र की जितपूर तथा नूनोदिह,खानों से.मी कोयला मिलता है। चूने का पत्थर (Lime Stone .) गंगपूर के बिसरा नामक स्थान तथा बी० यन०. भार पर स्थित पाराघाट और बाराद्वार से आता है। कुल्टी का कारखाना भारतवर्ष का सबसे पुराना कारखाना है। ...

: पिग.आयरन तैयार करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण. कारखाना बर्नपुर वर्क्स

है जो आसनसोल में स्थापित है। इस कारखाने को ई० आई० आर० तथा बी० यन० आर० दोनों ही कलकत्ते से जोड़ती हैं। कलकत्ते से यह केवल १३२ मील है । इस कारखाने के लिए कच्चा लोहा. कोलहन रियासत के गुआ नामक स्थान से आता है। बी० यन० पार ..की एक शाखा :: गुना को जोड़ती है। कोयला तो स्थानीय ख़ानों से ही प्राप्त हो जाता है । कारखाने के लिए पानी दामोदर नदी से लिया जाता है जो कारखाने से लगभग ढाई मील पर है । दामोदर के पानी को पंप करके एक बड़े • बांध में इकट्ठा कर लिया जाता है.1:::: पिग आयरन को तैयार करने में. अपेक्षाकृत अधिक कोयला आवश्यक है। इस कारण पिग आयरन के कारखाने: कोयले की खानों के समीप हैं । कुल्टी और बर्नपुर (आसंसोल ) एक ऐसे प्रदेश में स्थापित. है जो घना आबाद है और यह कारखाने कलकत्ता के समीप हैं जो कि भारतवर्ष में लोहे की सबसे बड़ी मंडो है । इन केन्द्रों में बने हुये पिग आयरन को विदेशों में कलकत्ते के बन्दरगाह से ही भेजा जाता है। भारतवर्ष में सबसे बड़ा लोहे और स्टील का कारखाना जमशेदपूर में स्थापित है। क्योंकि जमशेदपूर का टाटा' आयरन वर्क्स अधिकतर : स्टील बनाता है । इस कारण कोयले की अपेक्षा लोहे के क्षेत्र से अधिक समीप -