पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५२६

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उधोग-धंधे

उद्योग-धंधे : 7 में हैं जो कि सेमल, श्राम तपा सलाई " इत्यादि भारतीय लकड़ियों को काम में लाते हैं। दियासलाई की बत्ती के लिए श्राम की लकड़ी बहुत अच्छी होती है । सेमल बाक्स बनाने के लिए तो बहुत अच्छी होती है किन्तुं बत्ती बनाने के लिए अच्छी नहीं होती। कुछ कारखानों ने सेमल के जंगल लगाये हैं जहाँ से वे अपने लिए लकड़ी प्राप्त करते हैं। १६२० में भारतवर्ष लगभग डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की दियासलाई विदेशों से विशेषकर स्वीडन से मँगाता था किन्तु भारत सरकार ने दियासलाई के धंधे को भी संरक्षण प्रदान किया तो 'स्वीडन के पूंजीपतियों और दियास- लाई के व्यवसायियों ने भारतवर्ष में ही अपने कारखाने स्थापित कर दिये । स्वीडिश. दियासलाई के कारखानों में लगभग सारे दियासलाई के व्यवसाय को हथिया लिया है। इसका फल यह हुआ है कि भारतवर्ष दियासलाई नाम- मात्रं को ही विदेशों से मँगाता है । दियासलाई :की दृष्टि से भी भारतवर्ष स्वावलम्बी बन गया है । प्रतिवर्ष भारतवर्ष के कारखाने ढाई करोड़ ग्रोस बाक्स दियासलाई तैयार करते हैं। भारत सरकार ने दियासलाई पर आबकारी कर लगा दिया है । दियासलाई वस्तुतः एक विदेशी व्यवसाय है । इस पर विदेशी (स्वीडिश ) पूँजीपतियों का एकाधिपत्य है। भारतीय-पूंजी तथा प्रबंध इस व्यवसाय में बिलकुल नहीं है । इसमय भारत में ३० दियासलाई के कारखाने चल रहे हैं जिनमें प्रतिदिन ५०० ग्रोस दियासलाई तैयार होती हैं। यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि भारतवर्ष में पशुओं की संख्या बहुत है। साथ ही प्रतिवर्ष पशुओं की महामारी के चमड़े का धंधा कारण लाखों की संख्या में पशु मरते हैं। साथ ही (Leather मांस के लिए भी. पशु मारे जाते हैं। अस्तु भारतवर्ष में 'Industry) खाल बहुत होती है। यहाँ से प्रतिवर्ष लगभग आठ करोड़ रुपये की खाल विदेशों को विशेष कर ब्रिटेन को जाती है । वन-सम्पति के परिच्छेद में यह बतलाया जा चुका है कि चमड़ा कमाने के लिए जिन वृक्षों की छाले तथा फलौं (मैरीचौलन) को आवश्यकता होती है वह भारतवर्ष के वनों में बहुत पाये जाते हैं। भारतवर्ष में पुराने ढंग से चमड़ा कमाने की रीति बहुत समय से प्रचलित पी। बाज भी चमार पुरानी रीति से ही चमड़ा कमाते हैं। किन्तु सबसे पहले अाधुनिक ढंग से चमड़ा तैयार करने तथा चमड़े का सामान बनाने के लिए सरकार ने कारखाने खोले । बात यह थी कि सेना को : आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए बढ़िया चमड़े की आवश्यकता थी। अतएव सरकार ने कानपुर में गवर्नमेंट हारनैस सैडिलरी फैक्टरी स्थापित की। कुछ समय उपरान्त अन्य पंजीपतियों .. -