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गमनागमन के साधन और व्यापार

गमनागमन के सामन और व्यापार तिब्बत के लिए उत्तर भारत में दार्जलिंग, नैनीताल और बेतिया से मार्ग जाते हैं। , उत्तर पूर्वी अासाम में 'लाडो से वर्मा होकर जो मार्ग चीन को जाता है वह पिछले युद्ध में बहुत महत्वपूर्ण बन गया। पहले इस मार्ग का नाम लाडो गर्मा रोड था किन्तु अब शिटवैश-रोड के नाम से पुकारते हैं । लाडो से यह मार्ग भामो जाता है। लाशो से एक स्वतंत्र मार्ग भी भामो तफ जाता है। भामो से यह मार्ग पूर्व की ओर जाता है और ऊँचे पहाड़ों को पार करता हुआ 'कुनमिंग' पहुँचता है । 'लाडो' से कुनमिंग तक १०४४ मोल को दूरी है । यही मार्ग एक हजार मील चलकर 'चुंगकिंग' पहुँचता है। युद्ध के समय इस मार्ग को बहुत अधिक सुधार दिया गया जिससे कि चीन को युद्ध सामिग्री भेजी जाती थी। मविष्य में इस मार्ग के कारण भारत और चीन का व्यापार बढ़ेगा। अभ्यास के प्रश्न १-भारत में रेजों से क्या लाभ हुए हैं उनका वर्णन कीजिए ।. २. उत्तर भारत के मैदानों में रेलों का विस्तार इतना अधिक क्यों हुषा है विस्तार पूर्वक प्रतलाइए। ३-भारत के जलमागों का विवरण दीजिए। Y-रेल और सड़कों की प्रतिस्पर्धा से देश को क्या हानि है और उसे किरा प्रकार दूर किया जा सकता है।