पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५८२

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पाकिस्तान का आर्थिक भूगोल

SILO . पाकिस्तान का बाधिक भूगोल समरत भारतवर्ष में जितना फोयला पाया जाता. उसका-६८५३ प्रतिशत कोयला पश्चिमीय बंगाल, बिहार, तथा गोंडवाना, में पाया जाता है जो कि हिन्दुस्तान में है। केवल एक प्रतिशत कोयला पश्चिमीय पंजाब और बलूचिस्तान में पाया जाता है। यह घोड़ा सा जो नाम मात्र को कोयला पाकिस्तान में पाया जाता है यह इतना घलिया है कि वह प्रषिक उपयोगी नहीं है। भारतवर्ष पैट्रोलियम की दृष्टि से निधन है । परन्तु जो कुछ पैट्रोलियम निकलता है वह मुख्यतः आसाम के लखीमपूर लिले पैट्रोलियम की डिगबोई के कुषों से निकलता है जो हिन्दोस्तान में है। पाकिस्तान में केवल नाम मात्र को पैट्रोलियम पटक के क्षेत्र से निकलता है। पाकिस्तान के तैल क्षेत्र क्रमश: सूख रहे हैं। पाकिस्तान में केवल क्रोमाइट ही एक ऐसा खनिज पदार्थ है जो यथेष्ट है। कोमाइट बलूचिरतान में पाया जाता है। बलुचिस्तान मोमाइट में कुछ गंधक भी पाई जाती है । किन्तु क्रोमाइट और (chromite ) गंधक कोई ऐसे महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ नहीं हैं जिन पर कोई धंधा निर्भर हो । इनके अतिरिक्त पश्चि. भीय पंजाब में नमक की पहाड़ियों ( SaltRangs ) हैं जहाँ से सेंधा नमक या लाहौरी नकम निकाला जाता है। यही पाकिस्तान की कुल खनिज सम्पत्ति है। ऊपर के विवरण से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान खनिज पदार्थों को दृष्टि से अत्यन्त निर्धन राष्ट्र है। जहाँ तक भूमि का प्रश्न है पश्चिमीय पाकिस्तान में सीमा प्रान्त तथा बलूचिस्तान को छोड़कर समपल मैदान हैं। हो भूमि और जलवायु सीमाप्रान्त तथा बलूचिस्तान में पहाड़ी प्रदेश हैं। बलूचिस्तान और सीमा प्रान्त में घाटियों से घिरे हुए मैदान है। जहाँ तक मिट्टी का प्रश्न है मिट्टी यहाँ की उर्वरा है परन्तु जलवायु की दृष्टि से यह माग बहुत शुष्क है। यही कारण है कि अधिकांश पश्चिमीय पाकिस्तान में मरूभूमि जैसी जलवायु है। बलूचिस्तान और सीमाप्रान्त तो मानसून के रूख के बाहर है इस कारण वहाँ मानसून हवायें बिलकुल वर्षा नहीं करती। हाँ भूमध्यसागर से उड़ने वाली तूफानी हवा जाड़ों में अवश्य घर्षा करती हैं। सीमान्त तथा बलूचिस्तान में ८ इंच से अधिक वर्षा नहीं होती सिंध में तो और भी कम वर्षा होती है। वहां वर्षा का औसत ५ इंच है। मानसन हवायें इस प्रान्त में पहुंचते पहुंचते इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उनमें पानी नहीं रहता और इस प्रान्त में पहाड़ियों न होने के कारण