पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०१

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मालमगीर शाहबादी ने प्रमौर में पान कर कहा-"अमीर पुरापत इस्मीनान से बैठिए।" नगर सो उसी तरह गन् मैठा था। उसने पान देकर शाहबादी को सलाम रिमा मोर परा--"शाबारी अब कार में पक्षता " "तर्गतकलीफ क्या है विसवर " "प्रब बादा पूरा होना चाहिए और शरम से इस नापी कोणाबायो को पार भने प्रमिलना चाहिए।" "मोर, दमारा मकसद निधर से 2-पारमाड़ी ने एसस के गुम्छे से मेलते हुए मा। "वेतक और मुझ से हुए शारची पोर माबिए पार मे पाये दिए "लेकिन ये सब तो पुरानी बाते बनेमन, मुगल शारवादियों श्रीधारी नहीं जाती है।" "क्यों नहीं पीt" "म्या प्रापमे नहीं मना कि माम् पाइला मे बापमारो इन्जीनी पमा पखाते हुए सा था कि अगर ऐसा मा तो बिह प्रमीर में शादी की बापगी ठसे वाहमा परी पाया देना पड़ेमा " “अनि बुबा पक्ष से में भी पार पाया। "तो गरवारा सारेप, में उसे का इनकार, हमारी नबरे इनामत पर भाप ग्रामीन हो" "शा नहीं।" "मयर चोपाव हो ही नहीं सकधी अतो लिए हम पापणार सलामत से अर्थ मी सेम tr "लेकिन, यारबादी, आप तो अस्पनत की मासिक राफ्निार पपा प्रापकी बात यन ससे" 1