पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०२

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0 बेगम की बायरी "फिर मी एक मनसबदार से हिम्स्वान के बादशाह लाये गारीगैर मुमकिन" "तो फिर गुना कापदा।" "क्या दमाम हिदुस्तान के बादणाको शाहबादी मी गुनार पर सन्नी "मारवादी, हिमुस्तान के पापणा कर भी एक दीनो दुनिया का बारशाहो" "पा प्राम सोगों के लिए है क्या पर मी कमी मुमकिन हैक मुगा पाहबादी एक भरना मनसबदार में वाउम्र मौरी बन "लेरिन शादी "वस सामोय, हम ऐसी बातें सुनने की मादी नहीं। बत, हम अपनी हसी से मिट पर इनाम दम पर करें ठवने ही में 11 प्रासूरा यो" "मगर मेरी मी बोका मारिया" “होमी, हम फिलहाल इस प्रम पर गौर नहीं मस्ती मारी स्वा 8 हमने भाष पाँ अपारी में मुभम लिया और तुमसे मुहानव श्री। म चावीर भाइमा अपने इरादों को में रसो "वोर मेरी एक पर्व "अरो" "मुझे भी अमीर मीरशमशा साप पन मेग दीपिए । वादि अपनी प्रास्ता स मैं पा सब नरेश बिसे रेतने का में भादी नही प्रमारा मक्सदमा" - मामादी पर प्रपिर हिम्पमा, विषम र सास दिलचस्पी हेही, मैं उसे वह पहँगा और फिर एन पहा बापा