पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०३

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प्रासमगीर और फिर कमी पापमान दिखाऊँगा" नयापवसों हेमी से उठर चल दिया। बाहर मार उसने देना-मानवारा सारे सामने शाबिर है। खानमारा मे भागे पद पर पा-"मादाप पर्व मनसादार गोय, प्रदिप, शाबादी से भारी दब हो गई मावत कों में पयो और कोष में मरकर महा-"म प, नामा मेग पर पा से महाराहँगा" "gी। मनसबदार साहेब, मगर वारीस पुसूत रेस लेने बाद "पाता हुमा एक भोर पका गया । और नवाबवली वावपेच साता एक मार गया । पारवादी मुख र फूलो एक गुलदस्व उहासती रही। रुधरेर प्रदरसमे दरवकदी। पोवनी मूब परम रही थी। और पेमम अंगूरी राणा के समान में मस्त थी। उसन शरीर मसनद पर प्रखम्पद पाया। मौन नरी में सम यी भी। उसकी प्यारी विश्वासिनी गोदी दुल पार और सास लामाठरा रखम उसकी सिदमत में समिर पा। इस समय भाषी गठीत यी थी। प्रोर ठपटी मुगन्बित का पल पी पी। उतने एकबार पूर्षित नेत्रों से इपर उपर ऐसा और सम्बनी प्रोन 1 "बा हिन्दू या चौकी पर मुसैदन" "बी हों, सुवाबन्द "तो उसे मारे काम हाबिर पर। अपनी मिरपनियों से हम उसे सरफराबपिमा चाहती है पखम सिर मसार पक्षा या बेगम मे गदन अपमान पान की अोर विरही नबर से रेला और मा-"क्या व उत हिन्दू पमा मारत बानती।