पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०४

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बेगमी बारादरी 5

“म इतना हकिपाक दयानवशर मोर मे" "am "भूपत और पांच मी परदीtn "राममानी, सातेरी तपिरत उस र मापन गम में उशित होकर हाप गुमास्ता मोदी पर रे माय! बाँदो मे बमीन मुरमेयम साम हिरा और प्रा- 'एक प्यासा सोयबी भरपर ।' "दे, गुलाब और इस्तम्प्रेश मो मिक्षा बाटीने सादिक्ष सराप पाला पार गम के सम मे दिया। पराब पीनगम ने कहा-"किसी ऐसे मुखम्बिरबानती बिसनेसहोनिमा वयोर बनाई, "अनती जुदावमा" "at gर गुलर बार दसे मब वस्वीर के सानिए करना, बामाब रंगम मे पाना फिर उन पर और मना पा सग गई। पसी ममा बत्तम ने बघमास अप मार शाम किया। छत्रसाल मे भामे दमयम निरागी। बेगम मे विरची नका मे मातरा मोर रेखालाबावरा अपबार सलाम करके या मेनन यया । मा एमम पसन्द पार बेगम ने स-नाप शुरु, रेठ ure-सने माना जो दयारामिा) पर पाप राबव एक मम प्राये कदम टिळा र राममा । उसने प्रा-"ग्राबादी मेहतर हो मुझे बानी मौनी मामे पाम हो बार " "मेरे प्यारे एमा, दम पर सामगहो। तुमारी ऐसी ही पाचों से मैगरिसमेोचावासाबरी ने अपनी