पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११६

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दरबार लिस ft 'दामीनान रस्ता प्रमौर मीनुमला, हमारे प्रामा-भराय बहुव बस तुमारे पास पप पाएंगे। पिसालदमागे दिखीमारिए दिमाग र मुरम्मद प्रमोन प्रमी कुछ दिन इमारी नबोका मेदव रोगावणारेनी सुशामद करने पर मी मीरमहाके परेमप्रसम्वोर र नही मा। उन्ने भा-पिनार के हुक्म और मी विना प्रमह गुलाम नही करना पाहवा, मपर हुदर गारबादा इस पेनि सार पर यात्रीयो राने रिया भाग।" "नही नहीं, सिदारा इत्मीनान के लिए । पम-रम मारी कमान में वाही सोपखाना समेत पचास हमार और देवे बनूप वाम अपने साथी सिपावाला साप-बी तुम्हारे एम साह, अमरो" इस बार पादणार मे पास मवार, पाव परी भाव का ममम और मो विरोपाव रेर अमीर मीरडमक्षा को विश कर भरणारे तिसाव खत्म किया। 1 दलित समुम प्राइए मि पर बप शाला ने मनमी एक मी देलें। वारस्यापियात पेसी फैज वापर में पी। वह बार शारवाना वा और एक चतुर और उपायम अमीर मा । सती भी एकांगनी प्रमौर श्रौती बेटी पी। पहली टी-सम्परिण और पवित्रामा पीपा प्रीतीय सुन्दरी भी बैठी हरी प्रमय भामी में थी। पर एक नई उनकी बीदी नामिकाच माह अस्वी पौ। पारस पर मा ममीर के पास में हरि पौ।