पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२३

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प्राधममीर "ची हाँस्वावन्द ।" "न" "हुनर, एक मतमय प्रमची १, मैं उसे मुदत से बानती है।" "श्रम पहुरा नाtin “तरकार, प्राप बेफिक्र में "एप्पाला जीराची धरे।" बोदी ने पासा मर पर पेश किया। बेगम नेमा-- "र, तीसरा प्रम" "हुए हो गया ।" "हुनर बार कमरे में " बेगम ने गने से एक मोतियों की माता उतार कर उपपर फै। फिर मुस्कराम राय देनेग्रोव श्मिा । बादी पाने पर पासा मे लगी। फामिया बान् मे पार पापाय पचाया। बेगम मे नमित से बाने का इशारा किया। उसके पाने पर उसी मोर मुमधे हुए मेक पुमारा- “वारा सलामत या प्रायमयाह में तयरीफ ले गए 'ची नही इर।" "काऐमपीच का रामनामा सुन लिया गपा !" पीशपदा" "मारवाय" "गारमारा दाय मे उन पाहीती देखिों के परमा गरे की सभा में गिरफ्तार हुए भेगम ने होठ कार बरपरा मय । फिर पूछा- "और "ए, पादशाह सामत और पसी माद में बहुप हुमत से पी"