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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२४

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ऐपनमा "विस अमर में" "बापणार हामत पर्मा औरत मुहेमान शिहो भारत पुनासो, मगर पसी पाप गप उसे शारदा गुणा काबनाली करने दिला पाप ।" बेगम मुस्कुरा दी-"पर्व नए मिया मान्, बम बरत उलामा के सापपार कामे करूनही हाघिर गो "कोस्म हुनर, मगर मुस्लिानदीस की मारोगा " "सुगा गुस्ताद विरो" "बो गुरुम" बार शामिया पान पलो गई। बेगम ने रक्षा रीनति प्रा हामिर हुई। "मवानी मोविपी मे दारा सेस्मा का पा" "र, उसने वर्ग समझा दिनाक सुलेमान शिव मुहिम में पूर्व पर बरबोटेंगे। उनके सितारे सदरास हाप गर्म मंगाल, बिहार और उडीसा रख कर देना पाहिए।" "बहुतना नर्गिक "ए" “तूने कापा मगरत है।" "गर समीरबाबा" "शीयी" अंदी मे पाला मर दिरा । मम ने पासा साठी पर पसीन पर दादिया। रिमा क्षेत्रका-"वन मरे बाहर रास्ता दिखा बादी ने बाप रेन शारचा उठाया और रासाठी हरे कमरेचा भार सो गई। 2