पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३०

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मुगल नम्वरगमग में पड़ी भरमार भी। इन दरबार में बढ़ी हम भी होती है। म 'मयमी उसनसला और नाप लिवार मितामा पा, और हम पायिक वन पीस मार सए से लेकर पोनात पोकर मिलवा मा। परन्तु इनकी योग्यता पुरानी तिमी किवा की। ये साधारय इलाम कर सकते में पर बड़ी बीमारियों में हो सवा मही मिलती थी। अनेक फिरनी गरर मी दरबार में है वो बहुपा पर लोन और परमो को माराम पा रहे थे। ये हमी उधम गररर मालय में दुर्ग उदाहर ले बार बाते थे। इनमें से कोई भी मारामाराम नहीं करता। पर बीमारीपास्वर में बार ने अपने ही दापो मास सी पी । सासठ की प्रायु होने पर मी बानिस्तर प्रमाधिवक और स्वम्मन की दवाइयो साता रावा था- गिरा पपा नहीवापा न उनके विपैसे मभावको उमय बीर्यशीर्थ एयर सह सकता था। परिणाम को होना था वही प्रा। उसी मूब-पिण-प्रन्पिो गद गई और उतम मून-प्रवाह गया। रक में मूत्र मिजपने से उसकी या संकटापय हो गई और पर बहुत कमजोर हो गए। इस समय दिनो का पावरण अत्यन्त दुम्मा पा । वास्तव में ठत प्रबस होम में उसमरने पाता प्रमुख समार मीरामला पा। मिली में पा अपपि एक सप्ताह मो मही ठारा पा परन्तु इसी बीप में पानी ऐसी इटनीति का पाल दिली दगार में रिहा मग मा रिमापार के बीमार परवे ही बावणार दोमे, मरने सपा गत बीमार होने की अपमारे सामारप मर में रेल मां और भात प्रमीर मीरमशा कापाणी पापे दर का तो जाग्राम मर में सयो मोर भगवावा रेसपर दीनने लगे थे। मीरामशा की कैलानी अपपाहों में सूब कर उगा था। मारवार की बीमारी में परा और बेगम पामारा ने पारणार की